शिवपुरी (IDS-PRO) मलेरिया, डेंगू, स्वाईन फ्लू, दस्त रोग, एनीमिया आदि रोंगो बचाव एवं उपचार के लिए एक दिवसीय मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला जिला चिकित्सालय के एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में आज सम्पन्न हुई। जिसमें स्वास्थ्य विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, निजी चिकित्सक एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे गैरशासकीय संस्थाओं के पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्री करौठिया ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि दस्त रोग में ओ.आर.एस. घोल सबसे अधिक प्रभावी है। जो बच्चों में होने वाली 30 प्रतिश उल्टी-दस्त को रोकता है और शरीर में पानी एवं पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता है। ओ.आर.एस.घोल का उपयोग 24 घण्टे के अंदर कर लेना चाहिए। एक लीटर पानी में केवल एक पैकेट का ही घोल बनाए। डाॅ. गोविन्द सिंह ने स्वाईन फ्लू पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वाईन फ्लू से घबराना एवं डरना नहीं है, बल्कि हमें सावधानी एवं सर्तकता बरतनी है। स्वाईन फ्लू की तीन केटीगिरियां होती है। यह स्वाईन फ्लू पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे, हृदय रोगी, गर्भवती महिलाओं पर अधिक प्रभाव डालता है। डाॅ.उदयपुरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश में पांच वर्ष तक के बच्चों की बाल मृत्यु सर्वाधिक निमोनिया के बाद डायरिया से होती है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार पांच वर्ष तक की आयु के 7 लाख 60 हजार बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण होती है। उन्होंने तीन प्रकार के डायरिया की जानकारी देते हुए बताया कि ओ.आर.एस. घोल एवं जिंक टेवलेट के देने से डायरिया एवं दस्तों में 90 प्रतिशत नियंत्रण किया जा सकता है। जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. अलका त्रिवेदी ने जलजनित छह बीमारियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एन्डिज मच्छर से डेंगू रोग फैलता है। यह मच्छर स्वच्छ पानी में पनपता है। इन मच्छरों को पनपने न दें। खासकर उन्होंने कहा कि कूलरों में उपयोग में होने वाले जाली एवं टटियों में डेगूं के मच्छर का अण्डा एक वर्ष तक जिंदा रह सकता है। इसके लिए कूलर की टटिया एक वर्ष में अवश्य बदल दें और पुरानी टटियों को जला दें। जिससे मच्छर पनपने का अवसर ही नहीं मिलेगा। घरो में संग्रहित पानी को ढक्कर रखें। मच्छर के लार्वा को नष्ट करने हेतु मलेरिया विभाग से गंगोसिया मच्छियां भी प्राप्त करें।