इंदौर | जिले में लोकशांति बनाये रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश का सिलसिला जारी है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आकाश त्रिपाठी ने भारतीय दण्ड संहिता 1973 की धारा-144 के तहत जनसामान्य के हित में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए इन्दौर जिले की राजस्व सीमा क्षेत्र में स्थापित किसी भी निजी नर्सिंग होम/निजी अस्पतालों/निजी चिकित्सकों/किसी भी प्रकार के निजी चिकित्सा संस्थान द्वारा किसी दुकान विशेष से दवाईयां व चिकित्सीय उपकरणों को खरीदने तथा किसी लैब/संस्थान विशेष से चिकित्सीय परीक्षण हेतु किसी भी मरीज को बाध्य नहीं किया जायेगा।
प्रत्येक निजी नर्सिंग होम/निजी अस्पतालों/निजी चिकित्सकों/निजी चिकित्सा संस्थान द्वारा इस आशय की सूचना हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में बड़े अक्षरों में अस्पताल परिसर में सदृश्य स्थलों (रिसेप्शन एरिया, परिजन प्रतीक्षालय, लिफ्ट के भीतर, अस्पताल परिसर में स्थित दवा दुकान पर, वार्डों/कमरों में एवं सीढ़ियों पर) बैनर (न्यूनतम 3न्2 फीट) के रूप में प्रदर्शित करना होगी कि रोगी अपने इलाज में लगने वाली दवाइयां, चिकित्सीय उपकरण को कहीं से भी खरीदनें एवं उपचार के दौरान कराये जाने वाले चिकित्सीय परीक्षण को किसी लैब/संस्थान से कराये जाने हेतु स्वतंत्र है। इस आशय की सूचना को अस्पताल द्वारा जारी की जाने वाली पंजीकरण पर्ची, समय-समय पर दवा व अन्य सामग्री मंगाने वाली पर्चियों, रिपोर्ट, जाँच पत्र, मेडिकल बिल, फाइल आदि पर भी स्पष्ट रूप से बड़े शब्दों में सील लगाकर/प्रिन्ट कराकर हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में अंकित किया जाये।
जारी आदेशानुसार जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिले के समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में स्थित शासकीय एवं निजी अस्पतालों/नर्सिंग होम के मुख्य पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करते हुए उनका नियमित एवं आकस्मिक निरीक्षण कर प्रश्नाधीन आदेश का प्रभावी परिपालन सुनिश्चित करेंगे।
यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है तथा 28 अप्रैल 2015 तक प्रभावशील रहेगा। इस आदेश का प्रभावशील अवधि में किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत कानूनी कार्यवाही की जायेगी।