Dr Manisha Sharma

मॉं

मॉं है ईश्वर की इबादत
मॉं है प्रेम की ईबारत
मॉं है मन में श्रद्धा का भाव
मॉं है धूप में गुलमोहर की छॉंव
मॉं है अपनत्व की सेज
मॉं है सूरज का तेज
मॉं है ममता का सागर
मॉं है खुशियों की गागर
मॉं है शीतल सी चॉंदनी
मॉं है सुरो की रागिनी
मॉं है दीपों का पर्व
मॉं है वीरों का गर्व
मॉं है पक्षियों की चहक
मॉं है माटी की सौंधी महक
मॉं है सुखों का कोष
मॉं है जीने का जोश
मॉं है घर की बरकत
मॉं जिसके पैरों में जन्नत

Author:– डॉ. मनीषा शर्मा
शिक्षाविद एवं साहित्यकार

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3 comments

  1. Jai ho Maa !

  2. Beautiful lines composed by Dr. Manisha ji, devoted to though motherhood….. Salute thou feelings….
    Dr. Ram Baran Yadav

  3. Bhagyashree Mishra

    Great thought and poem by Dr.Manisha sharma

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