इंदौर : राज्य सूचना आयुक्त श्री हीरालाल त्रिवेदी की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में संभाग और जिले के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गयी। बैठक में आगामी 28 जनवरी, 2017 को कलेक्ट्रेट में होने वाली राज्य सूचना आयोग की लोक अदालत के संबंध में चर्चा की गयी। इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त श्री हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को किसी भी विभाग से विदेश नीति और रक्षा को छोड़कर शेष सभी जानकारी लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आगामी 28 जनवरी को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सूचना आयोग की लोक अदालत में 975 प्रकरण विचारार्थ रखे जायेंगे। 60 प्रतिशत प्रकरण ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों से संबंधित हैं। बैठक में इंदौर संभाग के समस्त लोक सूचना अधिकारियों को बुलाया जायेगा। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे लोक अदालत में सारे दस्तावेज लेकर उपस्थित हों, उसमें पत्र-व्यवहार और निराकरण तथा दी गयी जानकारी होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि बीपीएल श्रेणी के हितग्राही मात्र अपनी ग्राम पंचायत, अपने ब्लाक और अपने जिले की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सभी विभाग अपने विभाग की मूलभूत जानकारी वेबसाइट पर अपलोड कर दें,इससे अधिकांश समस्या अपने आप हल हो जायेगी। उन्होंने कहा कि लोक सूचना अधिकारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण जरूरी है। राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा सूचना के अधिकार दिये जाने के पीछे मंशा यह है कि शासन और प्रशासन में पारदर्शिता आये। निर्माण विभागों में ई-टेण्डरिंग के कारण अब सूचना के अधिकार के कारण कम आवेदन आते हैं।
उन्होंने बताया कि एफआईआर की जानकारी संबंधित व्यक्ति को ही दी जाती है। सर्विस बुक और विभागीय जांच के दस्तावेज संबंधित कर्मचारी को ही दिये जा सकते हैं, मगर व्यक्तिगत जानकारी और अचल संपत्ति का ब्यौरा सभी विभाग ऑनलाइन दर्ज करने के लिये बाध्य हैं। ऐसी जानकारी कोई भी सूचना के अधिकार के तहत डाउनलोड कर सकता है। शिक्षा और जाति प्रमाण-पत्र संबंधी जानकारी कोई भी व्यक्ति डाउनलोड कर सकता है। चल सम्पत्ति की जानकारी वेबसाइट पर दर्ज करना जरूरी नहीं है। कोई भी लोक सूचना अधिकारी नोटशीट, बिल, व्हाउचर और कैशबुक की छायाप्रति देने के लिये बाध्य है। हर आवेदन-पत्र का समय-सीमा में जवाब देना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि प्रायवेट स्कूल और निजी हाउसिंग सोसायटी (प्रायवेट कॉलोनाइजर) के संबंध में जानकारी देने के लिये संबंधित विभाग बाध्य नहीं है। प्रशासन में छिपाने लायक कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य दोनों पक्षों में समझौता कराकर अधिकाधिक प्रकरणों का निराकरण करना है। 28 जनवरी को लोक अदालत में सुलह-समझौता कराने के लिये अनुभवी रिटायर्ड कर्मचारियों एवं अधिकारियों से भी सहयोग लिया जायेगा। सभी लोक सूचना अधिकारियों और पक्षकारों को शीघ्र ही राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक अदालत में उपस्थित रहने के लिये नोटिस जारी किये जायेंगे।