इंदौर | जिले में नागरिकों से अपील की गयी है कि वे स्वाइन फ्लू के संबंध में फैल रही अफवाहों से सावधान रहें। स्वाइन फ्लू से निपटने के लिये शासन-प्रशासन गंभीर एवं सतर्क है। स्वाइन फ्लू के परीक्षण एवं उपचार की सभी व्यवस्थाएं शासकीय अस्पतालों के साथ प्रायवेट अस्पतालों में भी उपलब्ध है। स्वाइन फ्लू से घबराये नहीं बल्कि सतर्क रहें। स्वाईन फ्लू से बचाव के संबंध में सावधानी जरूरी है। सर्दी जुकाम होते ही समीप के अस्पताल में दिखायें एवं आवश्यक उपचार लें। स्वाइन फ्लू के संबंध में जिन क्षेत्रों में मरीज पाये जा रहे हैं, वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन क्षेत्रों के आस-पास के नागरिकों का सर्वे घर-घर जाकर किया जा रहा है। अभी तक शहर में 70 हजार घरों का सर्वे पूरा हो गया है। सर्दी-जुकाम के मरीज मिलने पर उन्हें निगरानी में रखकर उनका उपचार किया जा रहा है। इंदौर में स्वाईन फ्लू के संबंध में सभी एहतियाती प्रबंध किये जा रहे हैं।
यह जानकारी आज यहां कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी द्वारा ली गई बैठक में दी गई। बैठक में संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. बी.एन.चौहान, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. शरद पंडित, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महेश मालवीय, सिविल सर्जन डॉ. दिलीप आचार्य तथा शासकीय चिकित्सालयों के प्रभारी तथा बड़े प्रायवेट अस्पतालों के प्रबंधक / प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने स्वाइन फ्लू से निपटने के लिये इंदौर में की जा रही व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने डॉक्टरों को निर्देश दिये कि वे पूर्ण गंभीर होकर कार्य करें। लापरवाही तथा उदासीनता बरतने पर संबंधित चिकित्सकों के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि स्वाईन फ्लू का परीक्षण एवं उपचार के संबंध में जन-जाग्रति लायी जाये। कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने नागरिकों से अपील की कि वे अफवाहों से सावधान रहें। चिकित्सकों से उन्होंने कहा कि स्वाईन फ्लू के संबंध में फैल रही भ्रांतियों को दूर करें।
बैठक में संचालक स्वास्थ्य मिशन डॉ.बी.एन.चौहान ने स्वाइन फ्लू के संबंध में प्रोटोकाल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन अपने स्तर पर गंभीर होकर कार्यवाहियां कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में स्वाइन फ्लू के मरीज पाये गये हैं उस क्षेत्र के नागरिकों का घर-घर जाकर सर्वे किया जाये। सर्वे के दौरान सर्दी-खाँसी पायी जाने पर मरीजों का उपचार किया जाये। उन्हें निगरानी में रखा जाये। अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण पाये जाते हैं तो उन्हें परीक्षण सेंटर पर लाकर जांच की जाये और उन्हें आवश्यक उपचार मुहैया कराया जाये।
बैठक में बताया गया कि स्वाइन फ्लू इंफ्लुएंजा एच-1-एन-1 से आम नागरिक घबरायें नहीं, बल्कि तुरंत चिकित्सक की सलाह से इलाज करायें। उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू के हल्का बुखार, खाँसी, शरीर में दर्द, सिर में दर्द, उल्टी और दस्त प्रारंभिक लक्षण हैं, मगर बी-1 स्वाइन फ्लू उच्च तापमान का बुखार और गले में तीव्र खराश होती है। इसी प्रकार बी-2 स्वाइन फ्लू में श्रेणी-ए के लक्षण एवं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों के साथ ही फेफड़ों, ह्मदय, लीवर, गुर्दे के रोगी, कैंसर, एचआईव्ही व एड्स के रोगी जोखिम वाले समूह में होते हैं। इसी प्रकार ए और बी श्रेणी के लक्षण के साथ स्वाइन फ्लू में सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, अनिद्रा, निम्न रक्तचाप, थूक के साथ खून और चिड़चिड़ापन के लक्षण दिखाई देते हैं।
स्वाइन फ्लू लाइलाज नहीं है। खांसी आने पर मुहं व नाक को कपड़े या रूमाल या टीशु पेपर से ढंक लें। स्वाइन फ्लू रोग से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। यह रोग आराम करने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से भी नियंत्रित रहता है। इलाज से बचाव अच्छा होता है।