किसी के प्रति आकर्षण होना एक अलग चीज है लेकिन उस आकर्षण के चलते अपनी शादीशुदा जिन्दगी को ताक पर रख देना बिल्कुल गलत है। हालांकि किसी भी बात को सही गलत ठहराने से पहले ये जान लेना बहुत जरूरी है कि उस बात की वजह क्या है। एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन अगर समय रहते उन कारणों को जान लिया जाए तो इस मुसीबत से पार पाया जा सकता है।
ज्यादातर मामलों में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर शादीशुदा जिन्दगी में कलह होने की वजह से होते हैं लेकिन ये एकमात्र कारण नहीं है। यहां ऐसी ही पांच वजहों का जिक्र है जिसकी वजह से एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स हो सकते हैं:-
1.) बहुत कम उम्र में शादी हो जाने की वजह से
घरवालों और समाज की वजह से अक्सर कुछ लोगों की शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है. नौकरी हुई नहीं कि शादी कर दी जाती है। ऐसे लोग जब जिन्दगी के अगले पड़ाव पर पहुंचते हैं तो उन्हें ये लगने लगता है कि उन्होंने काफी कुछ मिस कर दिया है। ऐसे में वे एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर की ओर कदम बढ़ाने लगते हैं।
2.) सेक्सुअल सेटिस्फेशन न मिलने पर
ये भी एक प्रमुख कारण हो सकता है कि आपका साथी आपके अलावा किसी और के प्रति आकर्षित हो। कई मामलों में तो ये सबसे बड़ी और एकमात्र वजह होती है।
3.) अतिरिक्त संबंध में भरोसा
एक ओर जहां वैवाहिक संबंध को कामयाब बनाए रखने के लिए सेक्स लाइफ का कामयाब होना जरूरी हैं वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनमें अतिरिक्त संबंधों को लेकर क्रेविंग होती है। अपने साथी के साथ संतुष्ट होने के बावजूद वे दूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर रहते हैं।
4.) अचानक से मोहभंग हो जाने पर
हालांकि ऐसा कम ही होता है पर जहां किसी रिश्ते में तुलना का भाव आ जाता है, रिश्ते बिखरने लगते हैं। अचानक से कोई और आपको सुंदर दिखने लगता है और आपका अपना साथी बदसूरत। उसके सारे गुण आपके लिए अवगुण बन जाते हैं और दूसरे की हर छोटी-बड़ी बात खूबी लगने लग जाती है।
5.) बच्चे हो जाने के बाद
जैसे ही कोई जोड़ा मां-बाप बनता है, उनकी जिन्दगी पूरी तरह से बदल जाती है। उनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं और कई बार रहने का तरीका भी अक्सर ऐसी स्थिति में पुरुषों काम अपनी पत्नी से मोह भंग हो जाता है क्योंकि वो ज्यादा वक्त अपने बच्चे के साथ ही बिताने लगती है।
सभी जानते हैं की 20 साल की उम्र ज्यादातर भारतीय लड़कों के लिए गोल्डन पीरियड होता है। ग्रेजुएशन पूरा हो जाने के बाद वो अपने करियर पर फोकस करना शुरू कर देते हैं। पैसे कमाना शुरू कर देते हैं और दुनिया को एक अलग नजर से देखना शुरू कर देते हैं। वो अपनी जिन्दगी के हर पल को जीने की कोशिश करने लगते हैं और चीजों को एक्सप्लोर करना शुरू कर देते हैं। न तो किसी से पैसे मांगने की मजबूरी रह जाती है और न ही पढ़ाई का बोझ ही साथ रह जाता है। यही वो वक्त भी होता है जब वो लड़कियों की ओर भी खास ध्यान देना शुरू कर देते हैं .
यहां ऐसी ही पांच बातों को जिक्र है, जो 20 साल की उम्र में एक भारतीय लड़का लड़कियों से एक्सपेक्ट करता है:-
1.) ज्यादा से ज्यादा लड़कियों के साथ फ्लर्ट
20 की उम्र ही ऐसी होती है कि लड़कों में खुद ब खुद एक कॉन्फिडेंस आ जाता है। अब वो टीन-एज से बाहर आ चुके होते हैं और काफी हद तक मैच्योर हो चुके होते हैं। इस उम्र में वो चाहते हैं कि जितनी ज्यादा लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर सकें कर लें। ये काफी हद तक स्टाइल स्टेटमेंट भी होता है। वो किसी एक लड़की के साथ रिलेशन में बंधने के बजाय कई लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना पसंद करते हैं।
2.) सेक्स भी होती है प्राथमिकता
ये उम्र का वो पड़ाव होता है जहां वो खुद में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव महसूस करते हैं। ऐसे में वो इस नए अनुभव को लेकर भी काफी एक्साइटेड होते हैं। हालांकि ये व्यक्तिगत सोच पर भी काफी हद तक निर्भर करता है।
3.) कमिटमेंट से डरते हैं
20 की उम्र में ज्यादातर भारतीय लड़के कमिटमेंट करने से डरते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि वे अभी-अभी तो आजाद हुए हैं और किसी भी तरह का कमिटमेंट उन्हें बांध देगा। ऐसे में वो प्यार तो करते हैं पर कमिटमेंट से बचते हैं। हालांकि अगर किसी को ये भरोसा हो जाए कि ये लड़की ही उसकी बेस्ट हाफ है तो वो कमिटमेंट कर सकते हैं।
4.) सुंदरता बहुत मायने रखती है
20 की उम्र में अधिकतर लड़के लड़कियों की खूबसूरती को ही मापदंड मानते हैं। उन्हें खूबसूरत और आकर्षक नजर आने वाली लड़कियों के साथ ही घूमना-फिरना पसंद होता है। खूबसूरत लड़कियों के साथ दिखना उन्हें प्राउड फील कराता है।
5.) लड़कियों के झुंड में घूमना पसंद आता है
इस उम्र के ज्यादातर लड़के किसी एक लड़की के साथ घूमने के बजाय ग्रुप में घूमना पसंद करते हैं। उन्हें किसी एक के साथ घूमने से बेहतर ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ घूमना-फिरना रास आता है। वहीं दूसरी ओर अगर कोई लड़की उनसे उसके परिवार वालों से मिलने के लिए कहती है तो उन्हें ये बात पसंद नहीं आती।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री