मेरे महबूब
तुम्हारी ज़िन्दगी में
हमेशा मुहब्बत का मौसम रहे…
मुहब्बत के मौसम के
वही चम्पई उजाले वाले दिन
जिसकी बसंती सुबहें
सूरज की बनफ़शी किरनों से
सजी हों…
जिसकी सजीली दोपहरें
चमकती सुनहरी धूप से
सराबोर हों…
जिसकी सुरमई शामें
रूमानियत के जज़्बे से
लबरेज़ हों…
और
जिसकी मदहोश रातों पर
चांदनी अपना वजूद लुटाती रहे…
तुम्हारी ज़िन्दगी का हर साल
और
साल का हर दिन
और
हर दिन का हर लम्हा
मुहब्बत के नूर से रौशन रहे…
यही मेरी दुआ है
तुम्हारे लिए…
Author: Firdaus Khan’s (फ़िरदौस ख़ान)