किसी भी महामारी को रोकने का काम बहुत भारी होता है! ये प्रयास लगातार जारी रहता है और ज़ाहिर सी बात है कि अभी हमारा फोकस इसी बात पर है कि कोरोना वायरस को अपने क्षेत्र में फैलने से कैसे रोका जाए! इसमें आम सब नागरिकों का अब हम रोल है!
मार्केट खोलने की छूट देना प्रशासनिक मजबूरी हो सकती है, परंतु दुकान जाना हमारी मजबूरी कतई नहीं है, हम अपने परिवार के स्तम्भ हैं! जरा सा सोच लीजिये की अगर हम कोरोना वायरस की चपेट में आ गये तो क्या होगा, हमारे साथ? हमारे परिवार के सदस्य संक्रमित हो गए तो क्या होगा?
हमारे एक पड़ोसी ने दुकान खोल रखी है, वह कमा लेगा हम वंचित रह जाएंगे, हमारे कॉम्पिटिटर का माल बिक जाएगा, हमारे स्टॉक का क्या होगा? इस मानसिकता को नहीं छोड़ा तो हमें या हमारे परिवार के सदस्य को दुनिया छोड़नी पड़ सकती है!
आइए थोड़ा विचार करें, अगर हम घर से बाहर नहीं निकले और न परिवार के सदस्य निकले तो हम जो कमाएंगे वह हम सोच भी नहीं सकते, उसके आगे छप्पर फाड़ के कमाया हुआ पैसा भी कम ही होगा!
हम सोचते हैं मैं सावधानी से काम करूँगा, हमने डॉक्टर नर्स की प्रोटेक्शन की फ़ोटो TV पर देखी है, पूरे शरीर, आंखे, सिर दो लेयर, तीन लेयर में ऊपर से PP की ड्रेस ग्लब्स और उसके बाद भी संक्रमित हो रहे हैं, तो हम दुकान या कार्यक्षेत्र पर कितनी प्रोटेक्शन कर पाएंगे?
मान लीजिए हम घर से निकले या दुकान/फैक्टरी पर है, कई ग्राहक आये उन्हें खुद नहीं पता कि वह संक्रमित हैं या नहीं, हमने दुकान में समान का आदान-प्रदान किया, रुपयों का आदान-प्रदान किया, किसी समान काउंटर पर उसका स्पर्श हुआ, फर्श पर उनके जूते चप्पल से स्पर्श, हम क्या बार-बार आइसोलेट सेनेटाइस कर पाएंगे? रोजाना बार-बार यह कर पाएंगे, यह युद्ध है क्या हम इस युद्ध से लड़ पाएंगे? नहीं लड़ पाए तो शहीद नहीं होंगे क्या? यह कदम आत्महत्या होगी! हम बच गए और हमारे यहाँ आया हुआ कोई भी ग्राहक कल संक्रमित पाया गया और पता चला कि वह आपके संपर्क में दुकान पर आया था तो समझ लेना, हम भी निश्चित रूप से गये 14 -28 दिन के लिए कोरनटाईन और साथ में घर, परिवार वाले भी, दुकान भी सील कर दी जाएगी!
यह आंच हमारे मोहल्ले वालों को भी आएगी, सभी काँटेन्मेंट जोन में, तब क्या करेंगें? हमने दूसरों की तरफ नहीं देखना है, मूर्ख नहीं बनना है! भेड़ चाल नहीं चलना है! ईश्वर ने हमें दिमाग दिया है, उसका थोड़ा सा इस्तेमाल करना है! विचार कर लेना है, कि हमको क्या करना है?
हम अगर एक साल पैसा नहीं कमाएंगे किन्तु बदले में अपनी, अपने परिवार की जिंदगी बचा ले जाएंगे! आपने तो अपनी मर्जी करनी है, आगे आप स्वयं मुझसे ज्यादा समझदार हैं!
🙏🙏साभार :- गुरमीत सिंह छाबड़ा🙏🙏