जब वे तीनों यमराज के पास पहुँचे तो यमराज ने कहा – “आप लोगों की असामयिक मृत्यु पर मुझे बहुत दुःख है. आपको कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में भेजने के पहले मैं आप लोगों को 1 वर्ष का समय देना चाहता हूँ ताकि आप अपनी कोई एक ऐसी इच्छा पूरी कर सकें जो आप जीवन काल में नहीं कर पाए … ?”
सबसे पहले हिंदू बोला – “मैं सारी उम्र शाकाहारी रहा .. अब मैं जी भर के नॉन-वेज खाना चाहता हूँ … !”
यमराज ने अपने अनुचरों को आदेश दिया – “इन्हें ले जाओ और 1 वर्ष तक तंदूरी चिकन, कवाब और जो भी नॉन-वेज व्यंजन ये खाना चाहें, खिलाओ.”
मुसलमान बोला – “एक सच्चा मुसलमान होने के नाते मैंने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया. अब मैं छक-कर पीना चाहता हूँ ..!”
यमराज ने आदेश दिया – “इन्हें एक साल तक के लिए बढ़िया किस्म की स्कॉच, व्हिस्की, शैम्पेन वगैरा दे दी जाएँ …”
अब सरदारजी की बारी थी. वे बोले – “एक सच्चे सिक्ख की तरह मैंने अपने जीवन में कभी धूम्रपान नहीं किया. मैं जी भर कर धुआँ उड़ाना चाहता हूँ ..”
यमराज ने आदेश दिया – “इन्हें 1 साल तक के लिए जितने ये चाहें, हवाना के सिगार, और डनहिल की सिगरेट के पैकेट दे दिए जाएँ..”
तीनों दोस्त खुशी-खुशी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए यमराज के सेवकों के साथ चले गए.
1 साल बाद यमराज ने उन्हें बुलाने का आदेश दिया …
सबसे पहले हिंदू आया. उसकी शकल एकदम बदल चुकी थी. नॉन-वेज खा-खा कर वह काफी तगड़ा हो गया था.
फिर मुसलमान झूमता हुआ हाथ में स्कॉच का पैग लिए हुए आया. वह भी काफी खुश नज़र आ रहा था.
अंत में सेवकों पर बिफरते हुए सरदारजी आए. वे काफी गुस्से में लग रहे थे.
यमराज ने पूछा – “क्या हुआ ..? क्या आपको सिगार, सिगरेट आदि नहीं मिले ?”
सरदारजी गुस्से से दहाड़ते हुए बोले – “अरे सिगार सिगरेट तो दिए…. पर ये कमबख्त माचिस देना तो भूल ही गए !!!”