
मनख का दो रूप रे हे। हाथी का दांत सरीका, खाने का अलग ने दिखाने का अलग। दुनिया का आगे मनख वे सगला खटकरम करे, जो उका वास्तविक जीवन में वो बिलकुल नी करे। असा नरा उदारन हमारा ऐरे मेरे हमके दिखी जायगा। एक पेचान वाला की सोशल मीडिया पे पोस्ट देखी जां, वे वृद्धाश्रम में बुजुर्ग होन की सेवा करी रया हे। घणा फोटू बूढ़ा मनख होन का साते उनने डालिया। लोगना ने अंगूठा बी भोत बताया, ने तारीफ बी करी। एक दन में फोटू हेंचई ने सगलो पुण्य कमई लियो। पण उनने उनका घर का बूढ़ा-आड़ा की कदी कदर नी करी। घणो बुरो वेवार करता रया। असहाय बूढ़ा-आड़ा सेन करता रया ने संताप करते-करते दुनिया से चल्या गया। अब तम समजी सको कि उनकी आत्मा कित्ती दुखी होयगी। असा ओर बी उदारन हे, जां हमके वेवार को नकलीपन अने दोहरा चरित्र देखने में मिली जाय हे। कोई चीज को दिखावो होइज एका वास्ते हे कि अपनी करनी के मनख ढांकी सके। वसे बी आज का टेम में आभासी दुनिया को डंको बजी रयो हे।जो नी हां, वो बताने वास्ते दुनिया उतावली हुई रय हे।सेवा करने वाला ने अपना संस्कार के निभाने वाला तो अपनो काम बिना हल्ला के करता रे, कां कि वां दिखावो नी हे। माय-बाप ने बूढ़ा-आड़ा की सेवा को ढोल पीटने की जरोत आज क्यव पड़ी रय हे? यो तो मनख को सामान्य कर्तव्य हे। बूढ़ा माय-बाप के टेम पे रोटी नी दे, दवई को ध्यान नी दे, वे अपना छोरा-छोरी की शादी में उनके सजई-धजई ने बठई ने रखे चार जना के बताने वास्ते। मनख,अपना के ने परमेशर के धोको दई रयो हे इनी बात से अनजान कि उकी लाठी में आवाज़ नी होय। असा लोगना कि एक ओर खासियत या रे कि वे दूसरा के बूढ़ा-आड़ा की सेवा को ज्ञान जरूर दे। ने साते गीता, पुराण का उदारन बी नत्थी कर दे। यने अपनी करनी के परदा में रखी के दूसरा की उघाड़नो। असो करने से उनके अपना पाप धोने को आत्मसंतोष मिले। बदलती दुनिया में सेवा का भाव बी बदली गया। असली सेवा कोना-कुचाला में भरई गई ने दिखावा की सेवा छाती पे चढ़ी ने नाची रई हे। बची -खुची कसर छोटा परिवार का चलन ने पूरी कर दी,जां दादा-दादी को कई काम ने महत्व नी रयो। बूढ़ा-आड़ा परिवार की नींव होवे हे,जो अपना अनुभव से परिवार के मजबूत बनाय ने परिवार के एकता में बांधी ने रखे हे। टेम-टेम पे सला दई ने मनख के तकलीफ में पड़ने से बचाय हे। उनकी सेवा करी ने हम कोई ऐसान नी करी रया, यो हमारो कर्तव्य हे। अपना घर का बूढ़ा-आड़ा की सेवा करोगा तो अपना बुढापा में तकलीफ नी पाओगा। तम जसो वेवार करोगा, तमारा छोरा-छोरी वोज वेवार तमारा सातें करेगा। घर का बड़ा-बुजुर्ग की सेवा कर लो, उनके अवेर लो योज भोत हे। घर का अवेरय नी रया तो बायर वाला की सेवा को चोंचलो बी मत करो। करनी को फल मिलेज हे ने यांज मिले हे।
लेख़क : रजनीश दवे