आंगन में महकती खुशबू कि तरह
श्रद्धा में वो तुलसी कि तरह
हसती मुस्कुराती गुडिया कि तरह
बेटीया तो है सुंदर परियो कि तरह |
छोटी सी मुस्कान लेकर आती है
नन्हे कदमो से जब वो इठलाती है
तुत्लाकार जब वो कुछ कहती है
घर में खुशहाली छां जाती है |
छोटी सी बीटीया जब बडी हो जाती है
बिदाई कि घडी माता – पिता को तड्पाती है |
भिगी आंखो में वो पुरानी यादे आ जाती है
नन्ही बीटीया के कदमो कि आहट सुना जाती है
लब पर दुआये दिल में फरियाद है
बिटियाओ का जीवन सदा रहे आबाद चाहे वे बाबुल के घर या रहे सूसराल. . . .
Author: Govind Gupta (गोविंद गुप्ता)