भोले आज द्वार तुम्हारे खड़ी , पूछ रही यह जनता सारी |
नेत्र तीसरा कब खोलोगे तुम , ओ जय जय भोले भंडारी ||
तुमने दिए वरदान सभी को , जो भी दर तेरे पहुँच गया |
अभयदान दिया उसी को , जिसने शिव तेरा नाम लिया ||
आज साध ली है क्यों चुप्पी , ज़रा बताओ तुम त्रिपुरारी |
नेत्र तीसरा कब खोलोगे तुम , ओ जय जय भोले भंडारी ||
सतयुग त्रेता द्वापर में हे भोले , तुमने बड़े-२ वरदान दिए |
जब आई कलयुग की बारी , तो क्योकर चुप्पी साध लिए ||
सारा जग छोड़ के प्रभु , भरोसा करे तुम पे जनता सारी |
नेत्र तीसरा कब खोलोगे तुम , ओ जय जय भोले भंडारी ||
सिर्फ तुम्ही तो हो भोले नाथ , तीनो लोको के अधिकारी |
इसी लिए तो टिकी हुयी है , प्रभु तुम पे ही नजरे सारी ||
‘श्याम’ कहे प्रभु कुछ तो बोलो , पूछ रही ये जनता सारी |
नेत्र तीसरा कब खोलोगे तुम , ओ जय जय भोले भंडारी ||
Author: श्याम (भक्ति सागर)