मालवो म्हारो
है घणो प्यारो |
डग -डग नीर
पग-पग रोटी |
या वात वइगी
अब खोटी |
यां नी है मुरखां को टोटो |
यां को खांपो भी है
मगज में मोटो |
थ्री -इडियट सनिमो आयो
यां का खांपा,
मूरख अणे टेपा के भायो |
कदी कालिदास जिन्दो वेतो ,
तो ऊ घणो खुस वेतो |
जो मगज से काम नी करे ,
वुज मनक नयो कमाल करे |
अणि ती खंपाओ को
मान जागेगा,
खांपा, मुरख और टेपा
मालवा का नाम रोशन करेगा |
संजय जोशी “सजग”