बातों बातों मे जब अक्सर, बात तुम्हारी आती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
पल पल इस पागल मन को, कितना मैं समझाता हूं.
उलझाकर इसको इधर उधर, कितना मैं बहलाता हूं.
सन्नाटे मे भी पर मुझको, आवाज तुम्हारी आती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
तुम क्यों चले गये हो, हर आंसू आंखो का कहता है.
सहम जाता हूं खुद से ही, जाने क्या डर रहता है.
सूनापन है और यहां की, हर चीज मुझे चिढाती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
जब तक तुम थे जीवन में, कितनी रौनक रहती थी.
मेरी खाली जेबो मे भी, दुनियाभर की दौलत रहती थी.
अब दुनियाभर की दौलत भी, खुशियों को तरसाती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
वश मे होता मेरे तो, पलकों मे छुपाकर रख लेता.
हर रंग खुशी का भरता लेकिन, दूर कभी न जाने देता.
पर नियती ही कुछ ऐसी है, जो हर ख्वाब को झुठलाती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
एक दूजे के सपने जब, एक दूजी आंखों मे रहते थे.
मेरे तन की रग रग मे बनकर, लहू तुम बहते थे.
पर आंसुओं की आंच मेरी अब, पत्थर भी पिघलाती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
जिस्म तेरा दूर सही पर, पास रूहानी साया है.
इस जीवन मे मैंने तुमको, खोकर ही तो पाया है.
बिना रुके ही बढते रहना, जिन्दगी यही सिखलाती है
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है.
Author: Atul Jain Surana