लम्हों

गुजर गये लम्हे धीरे धीरे
और वे सब यादो में ‘बदलते’ रहे।
हम तेरे साथ की ख़ुशी में भूल गये
की ‘लम्हे’ कभी नही होते सदा के लिए
‘यादे’ ही साथ रहती है अंत तक ।

लम्हों की खुशीयां तो क्षणिक होती है
यादे ही तो है जो उन लम्हों को
बार बार ‘जीवन’ देती है।
और फिर बच जाती हे एक
धरोहर के रूप में ।

यही यादे तो उम्र भर की धरोहर होती है
अंत तक देकर साथ
चली जाती हे किसी और के पास
फिर वही उसे सहेजता है
और रख जाता हे किसी और के लिए।
याद रखने के लिए
या फिर सदा के लिए
भूल जाने के लिए

जिस दिन वो यादे भुला दी जाती है
वही पर होता हे असल में
अंत उन ‘लम्हों’ का
‘सदा’ के लिए।

Author: Dr. Sanjay Bindal

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