कौन कहता है कि तुम मुझसे दूर हो..
दूर रहकर भी तुम बिलकुल समीप हो..
नयन क्यों जोहें बाट तुम्हारी..
तुम तो बसे पलकों में मोतियों की लड़ी से..
नींदों में तुम्हारे प्यार का पहरा..
ख्वाबों में आते हो बाँध के सेहरा ..
जेहन में हमदम तुम छाये से रहते हो..
फरिश्तों की कहानी सी कहते रहते हो..
कौन कहता है तुम मुझसे दूर हो..
दूर रहकर भी बिलकुल करीब हो..
Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)