बिटिया की पीर

लौटकर तो आयेंगे यहीं, चाहकर भी न जा पाएंगे कहीं
खूंटे से बंधी गाय की तरह, चरवाहे की भेड़ बकरी की तरह
सांझ ढलते ही आयेंगे यही, चाहकर भी न जा पाएंगे कहीं

कभी माँ की दुलारती बाहें, बाबा की स्नेहसिक्त आँखे
केवल भर सकेंगी इन नयनो में नीर
इस भ्रामक भटकते जीवन की किससे बाटू..
मै मन की पीर…
नाविक की नाव की तरह…
सांझ ढलते… किनारा खोजती…
माँ के आँगन का उन्मुक्त आकाश
हमारी खिलखिलाहटें… किलोले और कहकहे…
यहाँ घर का हर कोना सहमा सा…
ठहरा जीवन, व्याप्त है नैराश्य…
नियमित दिनचर्या, मिलते हैं आदेश, निर्देश…
सागर की मचलती लहरों की तरह…
जो पुनः सीने में दुबक जाती
किसको रोवे, किसको गावें
घूमता सा ये नियति चक्र
बेटी है पराया धन
फिर पराये क्यूँ खाते हैं
उसका अर्जित धन…

Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)

  • Related Posts

    इंसान सिमट गए पैसों में

    खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे…!! “और बीच में लिखी…

    भारत माता की बेटी को न्याय क्यों नहीं मिला

    पुकारती है निर्भया लोकतंत्र के अपने उन अधिकारों कोकहना चाहती दर्द वो अपना सत्ता के भेड़िए नेताओ कोनोच नोच कर खाने वाले बलात्कारी नरभक्षी हेवानो कोचुप क्यों हो जाता प्रशासन…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट