वफ़ा में कुछ कमी थी याद रखना,
मगर तू ज़िन्दगी थी याद रखना !
नमी-सी कुछ तेरी आँखों में पाकर,
कोई दुनिया जली थी याद रखना !
जो सूखा फूल बिखरा है ज़मीं पर,
कभी वो भी कली थी याद रखना !
रहे वो दिल में या जब तक नज़र में,
यहाँ भी रोशनी थी याद रखना !
तसल्ली इस तरह देता हूँ खुद को,
”धरम” ये दिल्लगी थी याद रखना !
Author: धर्मेन्द्र ”आज़ाद”