Bacchapann ke woh din…

बच्चपन के वो दिन…
कितने सुहाने थे…
न किसी का डर था…
न झूठे बहाने थे…
खेलना ही ज़िन्दगी बन चूका था,
सिर्फ मस्ती और मोज के दिन बिताने थे…!!
बारिश में भीगने का भी अलग अंदाज़ होता था…
तब आसू न छुपाते थे…
चाहे जीत हो या हो हार…
सब उत्सव जेसे मनाते थे…!!
दिल में न किसी के लिए नफरत थी…
न था किसी के लिए सच्चा प्यार..:))
एक ही चीज़ सीखी थी की…
सभी लोगो को मनाओ यार…!!
सोने चाँदी की कीमत का अंदाजा न था…
लगते सब खिलोने थे…
क्यों आगए हम इन बड़े लोगो के दल-दल में…
वो बच्चपन्न के दिन ही कितने सुआने थे…!! 🙂 🙂 !!

Written By :- Aaishwarya Rai

  • Related Posts

    इंसान सिमट गए पैसों में

    खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे…!! “और बीच में लिखी…

    भारत माता की बेटी को न्याय क्यों नहीं मिला

    पुकारती है निर्भया लोकतंत्र के अपने उन अधिकारों कोकहना चाहती दर्द वो अपना सत्ता के भेड़िए नेताओ कोनोच नोच कर खाने वाले बलात्कारी नरभक्षी हेवानो कोचुप क्यों हो जाता प्रशासन…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट