मां को बच्चों की प्रथम गुरु कहा है।
मां हमेशा अपने बच्चों को सही-गलत और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है।
जीवन में जब भी कुछ समझ नहीं आता, कोई रास्ता नहीं सूझता तो मां से बात करने से उनकी गोद में सिर रखकर अपने मन का हाल उन्हें बताने से हमें नया रास्ता भी मिल जाता है और एक उम्मीद भी मिलती है कि कोई है जो हमें हमसे बेहतर समझता है।
कहते हैं मां चाहे पढ़ी-लिखी हो चाहे अनपढ़ पर दुनियादारी की बेशुमार समझ उन्हें होती है, मां के हाथ कभी हमें आशीर्वाद देने तो कभी हमारे लिए दुआ मांगने के लिए उठते हैं।
कहते हैं न कि भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकता इसलिए उन्होंने मां बनाई।
मां की सीख उनकी नसीयत हमेशा हमारे काम आती है।
मां कभी हौसला बढ़ाती हैं तो कभी ढाल बन खड़ी हो जाती हैं।
सच किसी ने सही कहा है कि मां ईश्वर से भी श्रेष्ठ हैं।
_अंकिता जैन अवनी
लेखिका/कवयित्री
अशोकनगर मप्र