आहत मन पर मरहम

प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कल इंदौर प्रवास के दौरान उन रोज कमाने खाने वाले लोगो के बीच पहुंचे, जो नगर निगम के सताये हुए है। जो सड़क पर बैठकर गृहस्थी की गाड़ी जैसे तैसे चला रहे है। जिनके साथ हुआ अन्याय हालिया निगम चुनाव में “पीली गैंग” के रूप में मुद्दा बना था। सरकार के मुखिया ने ऐसे सभी लोगो को अब नया नाम पथकर विक्रेता दिया। साथ ही वादा भी किया कि आपको सम्मानपूर्वक आजीविका चलाने का भरपूर मौका दिया जाएगा। गरीब की इज्जत के साथ रोजी रोटी चल सके, इसके लिए निगम हाकर्स जोन बनाए और कालोनियों में भी ठेले वाले व्यवसाय कर सकें, ऐसी व्यवस्था हो। सभी को छत ओर आयुष्मान कार्ड का वादा भी सीएम कर गए।

“पीली गैंग” को ख़बरदार कर गए शिवराज
पथकर विक्रेता…
कितना सुंदर नाम है न..??
कोई जोड़ नही इस मामले में भाजपा की
ओर उसके इवेंट मैनेजर्स की।

पथकर विक्रेता के लिए अब बिछ बिछ जा रही है ‘सरकार’। बच्चो को पढ़ाएंगे भी। मकान भी बनाकर देंगे। शादी ब्याह भी करेंगे। आयुष्मान कार्ड भी बनाएंगे। आदि-इत्यादि।
जय हो। लाजवाब। जोरदार।

पर जरा ये भी बता दो ” सरकार” को कि ये वो ही पथ विक्रेता है न जिसे हम लोग सड़क किनारे बेठकर, खड़े रहकर, ठेले पर, पल्ली बिछाकर रोजी रोटी कमाने वाला बोलते है?
वो ही है न ये?? जिनके ठेले तोड़े गए थे?? तोड़े जा रहे है? अब भी।

ये “क्लिष्ट ” नाम वाले लोग वो ही है न जिनकी गुमटियां ओर ठेले जेसीबी से चकनाचूर कर दी गई थी और की जा रही है? समान सहित जिनकी पूरी रोजी रोटी ट्रेचिंग ग्राउंड भिजवाई गई थी और आज भी भेजी जाती है?

“पथकर” वाले वे ही है न जिनकी सब्जियां फल और अन्य सामान सड़क पर फेंक दिया गया था और अब भी फेंका जा रहा है?

जिनकी चिंता में अब “सरकार” दुबली हो रही है…ये वो ही लोग है न जिनकी रोजी रोटी जबरिया गाड़ी में लादकर कचरा मैदान भिजवाई जाती है? ठेठ देवगुराड़िया। जहा फिर माल छुड़वाने का मोलभाव तय होता है।

ये वो ही रोती बिलखती ओर बेहोश होती माँ-बहन-भाभीया है न जिनकी कमाई के एकमात्र जरिये को जेसीबी से जमीदोज कर दिया गया है या फिर सड़क पर बिखेर दिया जाता है। कोई मंगलसूत्र गिरवी रखकर फल का ठेला सजाता है। ठेला तो दूर..फल तक समेट कर ले गए। कर्जा लेकर अंडा बेचने वाले का ठेला पलटा दिया गया। फेहरिस्त बहुत लंबी है “सरकार”।

जिनको आप पढ़ाने की बात कर रहे हो…ये वो ही बच्चे है न जिनकी आंखों के सामने रोज इनके मा बाप भाई और अन्य परिवार के लोगो की बेइज्जती होती है? कभी पॉलीथिन की थैली के नाम पर तो कभी जबरिया वसूली के नाम पर।

अच्छा किया आपने शिवराज जी।
आपने इनके आहत मन पर मरहम लगाया। आपके अपनत्व ने इन्हें भरोसा दिया है। उन साहब बहादुरों को भी आपकी मौजूदगी से सन्देश गया होगा जो अपना सारा जोर इन रोज खाने कमाने वाले पर चलाते है। आप तक खबरे तो आती ही रहती थी न कि इंदौर की ” पीली गैंग” क्या कर रही है? ये गैंग ही इस बार निगम चुनाव का बड़ा मुद्दा बनी थी। ऐसा पहले इस शहर में कभी नही हुआ। न कैलाश जी के समय न डा उमाशशी शर्मा के समय। मान्यवर मोघे जी के समय भी नही। अचानक मालिनी भाभी के समय ये अराजकता कैसे शुरू हुई और फिर कैसे पसर गई? क्या उनका शांत शालीन ओर सौम्य होने का फायदा उठाया गया? अब कसौटी पर मिस्टर पुष्यमित्र है। अच्छा होता माननीय आप एक दो हिदायतें उन कर्मचारियों, मस्टरकर्मियो को भी दे जाते जिन पर जीप पर सवार होते ही अफसरी सवार हो जाती है। सड़क पर बैठकर रोज खाने कमाने वालो के प्रति आपका ये अनुराग शायद हुक्मरानों को सद्बुद्धि दे ओर रोज खाने कमाने वाला भी सम्मान और गरिमा से अपनी गृहस्थी चला सके।

हॉकर्स झोन का फिर लगा हांका
हाकर्स झोन….!! किनके लिये?? इनके लिए? कब तक? ओर कैसे बनेंगे? कौन जाएगा वहां? कैसे अलॉट करेंगे काम करने की जगह? कौन करेगा सर्वे? कैसे होगा सर्वे? क्या परिभाषा होगी झोन की पात्रतामे आने की? जो बनाये गए थे, उसमे लोग शिफ्ट हो गए??

हॉकर्स झोन का हांका लगते लगते शहर के 4 महापौरों का कार्यकाल पूरा हो गया। यानी पूरे 20 बरस। बना एकमात्र जिंसी हाट मैदान में।अब वो भी उजाड़ होने की स्थिति में। यहां हाकर्स झोन पर तो कब्जे है। अटाले वाले का, भंगार वाले का, घास बेचने वाले का। जो बचा है उसमें रात होते ही ” दमबाज” ओर ” दारूबाज” कब्जा कर लेते है। ये तो जिंसी के हाल है।

बड़वाली चौकी स्थित पुराने एसपी आफिस के वहा भी तो “सरकार” आप हाकर्स झोन बना रहे थे न?? ये कहकर ही तो गोपाल मंदिर के अगल बगल ओर सामने की पट्टी वालो को हटाया था न? फिर क्या हुआ? बन गया हाकर्स झोन? दुकानदार हो गए शिफ्ट? गोपाल मंदिर और राजबाड़ा के आसपास सड़क पर खड़े रहकर खाने कमाने वालो की भीड़ कम हो गई?

एक हाकर्स झोन तो शांतिपथ पर बन रहा था न? शांति पथ यानी नगर निगम के पिछले गेट से बाहर आते ही जो सामने रास्ता जाता है वहा। मच्छी बाजार तो वहां लग गया और लोहा लँगड बेचने वाले भी डटे हुए है।बस वो लोग ही नजर नही आ रहे जिनके लिए यहां हाकर्स झोन बनना था। नजर तो हाकर्स झोन भी नही आ रहा। अब ये किससे कहने जाये?

अब “सरकार”ने कहा है तो कभी न कभी तो बन ही जायेंगे। और नही भी बने तो हम आप क्या कर लेंगे? वैसे भी क्या कर लिया 20 बरस में जो अब कर लोगे? हा। एक काम जरूर करना। कर ही रहे हो। सुबह उठकर अखबार पड़ना। हॉकर्स झोन का फिर हांका लगा है।

पथकर विक्रेता नाम है मिला फुटपाथियो को। ये क्या कम है? कम से कम सरकार नामकरण को लेकर चिंतित तो है। अब कोई पीली नीली लाल काली धौली गैंग वाले आये तो बताना की हम यू ही सड़क किनारे नही बेठे है। सरकार ने अधिकृत किया है…पथकर विक्रेता नामकरण कर के। अब देखते है कोई आपको उठाकर फेंक पाता है या नही? अब आपका ठेला टूटता है या नही? ये भी आजमाना होगा।
लेखक :- नितिनमोहन शर्मा

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