निर्देशक महेश भट्ट को अपडेशन की ज़रुरत…..
निर्देशक : महेश भट्ट
अदाकार : संजय दत्त, आलिया भट्ट, आदित्य रॉय कपूर, मकरंद देशपांडे, गुलशन ग्रोवर, जिशू सेनगुप्ता, अक्षय आनन्द
संगीत : संदीप चोटा, अंकित तिवारी, जीत गांगुली, पिल्लई, सुनिलजीत
फ़िल्म डिज्नी और हॉटस्टार ओटीटी पर पर्दर्शित हुई है।
फ़िल्म से पहले एक चर्चा :-
अभिनेता सुशांत राजपूत की आत्महत्या ने पूरे मुम्बई फ़िल्म जगत पर भाई भतीजावाद पर उंगली तान रखी है, देश की जनता का घुस्सा फ़िल्म के ट्रेलर पर ही दिखा की देश मे 1 करोड़ से ज्यादा लोगो ने इस ट्रेलर को नापसन्द कर के घुस्सा ज़ाहिर करते हुवे अपनी नाराजगी भी दिखाई, साथ ही फ़िल्म के ट्रेलर का बहिष्कार आज प्रदर्शन दिनांक तक जारी है,यह डिस लाइक विश्व मे पांचवे नम्बर पर सबसे ज्यादा नापसन्द की श्रेणी में आ खड़ा हुआ
सुशांत की आत्महत्या है या हत्या – हम निष्पक्ष जांच के पक्षधर है और दोषियों को सज़ा के भी
फ़िल्म में संजय- आलिया- आदित्य तीनो भाई भतीजा वाद में ज्वलंत उदाहरणों में से है
संजय – नरगिस-सुनील पुत्र, आदित्य – सिध्दार्थ के भाई, आलिया- पूजा – महेश की बेटियाँ,
अब तो प्रत्यक्ष या परोक्ष सुशांत कांड में महेश भट्ट का नाम भी जुड़ने लगा है
लेकिन हम सिनेमा को लेकर समर्पित है तो हम बिना किसी पूर्वाग्रह के समीक्षा करेंगे
हमारी मज़बूरी :-
हमको फ़िल्म पर समीक्षा करनी है उनके जुड़े किरदारों निजी गुनाहों पर फैसला कानून करेगा- तो हम निष्पक्ष होकर फ़िल्म की समीक्षा पर आते है
वैधानिक चेतावनी:-
हमारी समीक्षा पूर्णतः निष्पक्षता के साथ फ़िल्म पर होंगी न कि उस फिल्म के किरदारों की निजी जिंदगी पर
कहानी :-
फ़िल्म को पुरानी महेश भट्ट की सड़क(1991) से ही आगे बढ़ाया गया है-
योगेश देसाई (जिशू सेन गुप्ता) अपनी पहली पहली पत्नी को खो चुके है जिसकी करोड़ो की जायदाद
देसाई ग्रुप ऑफ कम्पनीज की इकलौती वारिस आरीया देसाई (आलिया भट्ट) जब तक 21 बरस की न हो जाए तब तक पिता सम्भालेंगे , आरिया एक एन जी ओ और जागरूकता अभियान चलाती है जिसका उद्देश्य धर्म मे हो रहे आडम्बर का पर्दाफाश करना है, जिसमे मुख्य ध्येय बाबा ज्ञानप्रकाश (मकरंद देशपांडे) के झूठे धार्मिक आडम्बर से जनता को रूबरू कराना है।
अरिया एक टैक्सी बुक करती है पूजा टूर्स एंड ट्रेवल्स से कैलाश पर्वत जाने के लिए, इधर पूजा टूर्स का मालिक रवि वर्मा (संजय दत्त) खुद अब अपनी मुहब्बत को खो चुका है और खुद की ज़िंदगी खत्म कर के अपनी मुहब्बत और पत्नी पूजा वर्मा (पूजा भट्ट) के पास चले जाना चाहता है, लेकिन इसी बीच वहां आलिया पहुचती हैं और बुकिंग की रसीद दिखाती है, इससे पहले रवि ट्रांसपोर्ट का काम बंद कर देने की बात करता है लेकिन अरिया रवि की दिवंगत मुहब्बत और पत्नी पूजा की बुक की हुई टेक्सी की रसीद दिखाती है, तब रवि उसे अपनी बेटी के प्रतीक रूप में स्वीकार कर के छोड़ने को तैय्यार हो जाता है, रइधर बाबा ज्ञानप्रकाश के खिलाफ सोशल मीडिया पर आरिया के खोले मोर्चे से बाबा परेशान हो चुका है और वह उसे मारने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाता है फिर भी आरिया बच जाती है तो बाबा अपना खूबसूरत नोजवान गुर्गा विशाल ( आदित्य रॉय) को भेजता है वह पूजा को प्यार के झांसे में फंसाने में कामयाब होकर बाबा तक ले जाकर मौत की नींद सुला देना चाहता है, अब रवि अरिया और विशाल को लेकर कैलाश पर्वत के लिए निकल जाता, बाबा के गुर्गों में से अरिया को मौत देने के करीब पहुच जाता है,लेकिन रवि पहुच कर बचा लेता है।
बीच मे ही विशाल का ह्नदय परिवर्तन हो जाता है और वह सच कुबूल कर देता की वह बाबा का एक गुर्गा ही है
लेकिन अरिया और मौत के बीच रवि खड़ा हो जाता है,,अब बाबा ज्ञान प्रकाश के गुर्गे में से एक और बाबा का गुर्गा निकलता हैं।
क्या आरिया धर्म के आडम्बर का खेल – खेल रहे बाबा का पर्दाफाश कर पाएगी
क्या महज़ बाबा आरिया की जान लेना चाहता है
क्या रवि आरिया की हिफाज़त कर पाता है
इन सवालों के जवाब के लिए सड़क 2 से रूबरू हुवा जा सकता है।
निर्देशन :-
महेश भट्ट किसी पुराने मोबाइल की तरह हो चले है उन्हें अब नए अपडेशन की ज़रूरत है फ़िल्म देखते देखते आप फ़िल्म की आगे की स्तिथियों को आंक लेते हो, महेश अभी भी 80 के दशक में ही जी रहे है जब कि अब फोन, मोबाईल, टीवी सब स्मार्ट हो चुके है।
अदाकारी :-
संजय दत्त ने अपने समकालीन अभिनेताओं में सबसे लंबी फिल्मी पारी खेल ली है 1971 में बाल कलाकार फिर 1981 में रॉकी फ़िल्म से विधिवत शुरूआत की आज 39 साल के फिल्मी सफर में संजय अभीनय के चरम पर है, आलिया ने जिस संजीदगी से किरदार को पकड़ कर सज़ा कर पेश किया उनकी अभीनय की बुलंदी नज़र आती है।
आदित्य को जितना काम मिला ईमानदारी से किया, मकरंद को बिना दाढ़ी के पहली बार देखा जो कि उनके अभीनय के आगे गौड़ लगा, गुलशन को भी लंबे वक्त के बाद देखकर अच्छा लगा, सेनगुप्ता बंगाली सिनेमा का स्थापित नाम है उनकी अभीनय क्षमताओं को देखते हुवे पूर्णता का एहसास होता है।
संगीत :-
कूल 6 संगीतकारों से काम लिया गया है, फ़िल्म में कुल 7 गांनो में से शुक्रिया गाना दो बार लिया गया है, गाना लाजवाब बना हैइश्क कमाल लाजवाब बना है जिसे बार बार सुना जा सकता है, इस गाने को सुनिलजीत ने स्वरबद्ध किया है जावेद ने आवाज़ दी है, नया गाना दिल की पुरानी सड़क पर केके की आवाज़ में शानदार बन गया है, तुमसे ही गाना भी कर्णप्रिय बना है।
कूल मिलकर महेश ने गीत संगीत पर अपने अनुभव का लाभ उठाया है और गीत संगीत में बाजी मार गए है
बजट :-
फ़िल्म का बजट 60 से 70 करोड़ रखा गया हैं, लेकिन बहिष्कार के चलते पहले दिन की कमाई 6 से 9 करोड़ जाने की उम्मीद है, सप्ताहांत में 20 करोड़ तक जाने की उम्मीद है।
यदि फ़िल्म को हिट होना है तो 90 करोड़ की कमाई करनी होगी जो कि मुश्किल लग रहा है।
अंत मे :-
महेश भट्ट, सुभाष घई, 80 – 90 दशक में ही जी रहे है शायद, अब जब कि फिल्मों के विषय अतिआधुनिकता से भर चुके है लेकिन महेश आज भी वही घिसे पीटे विषयो पर अटके पड़े हैं।
फ़िल्म समीक्षक : इदरीस खत्री