ढाई अक्षर प्रेम के. . . . .

में कुछ ख्याल बटौर रहा था शब्दों आंगन में, ढाई अक्षर प्रेम के नाम, कुछ लिखने की खातिर | मगर कभी ख्याल खो जाते, कभी शब्द बिखर जाते और मेरी कलम की मुट्ठी…