मैं नहीं जानता प्राण देह से अर्जित ज्ञान और अनुभव का कितना हिस्सा जाते वक्त पार्थिव में छोडक़र जाता है। अगर वह सारे कोष खाली कर देह को अपशिष्ट की तरह छोड़ जाता हो तब भी प्राण के संसर्ग से अर्जित मेधा का कुछ अंश तो रह ही जाता होगा। मैं चाहता हूं कि वह देह जब अग्नि को समर्पित ...
Read More »Tag Archives: Amit Mandloi
जब हम यमदूत का इंतजार करते हैं
जीवन जितनी सहजता से जीया जा सकता है, उतनी ही असहज मृत्यु हो सकती है। खासकर तब जब वह देहरी पर आकर खड़ी हो जाए। न भीतर आए न बाहर जाए। वह द्वार पर खड़ी है, उस भिक्षुक की तरह जो न कटोरा आगे करता है और न पैर आगे बढ़ाता है। गृह स्वामी संकोच में है कि अब इसका ...
Read More »