समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएँगी … श्रद्धा में डाले पुष्प, जल हीन मुर्झा जायेंगे … स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे … किन्तु ‘निर्भयता’ की जलाई अग्नि हमारे ह्रदय को प्रज्वलित करेगी … जल हीन मुरझाये पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी … दग्ध कंठ से ‘दामिनी’ की ‘अमानत’ आत्मा विश्व भर में …
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