दिल से गुस्ताख़ी कुछ यूँ हुई, वो नाराज़ रहे मोहब्बत में शायरा कुछ यूँ बनी, वो खामोश रहे मुन्तज़िर निगाहें मेरी कुछ यूँ झुकी, वो बेबस रहे मैं दिन-ब-दिन दीवानी कुछ यूँ बनी, वो तस्सवुर करते रहे दिल को कश्मकश हुई, क्या उन्हें भी मोहब्बत हुई? चाहत मेरी ज़िंदा कुछ यूँ हुई, वो परेशान रहे ये कशमकश एक राज़ यूँ …
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