माँ के आँचल से उतरकर बस धरा पर पैर रखा ही था , लगा कि मैं आज़ाद हो गयी पिता कि उंगली थामे थामे , अचानक एक दिन अकेले कदम चल पड़े , लगा कि मैं आज़ाद हो गयी पायल की रून-झुन , छुन-छुन गुंजाती आँगन में दौड़ने लगी , लगा कि मैं आज़ाद हो गयी घर का आँगन छोड़ …
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