“कोरोना की दूसरी लहर”

कोरोना की दूसरी लहर के साथ दोगुनी लापरवाही भी देखने को मिल रही है लोग जहां कुंभ में शाही स्नान कर रहे हैं वहीं चुनावों में नेता जन सभा और रेलियां कर रहे हैं और हद की बात तो ये है कि शाही स्नान हो या रेलियां दोनों ही जगह बढ़ – चढ़कर लोग शामिल हो रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि आप किसे जिम्मेदार ठहराना चाहेंगे उन्हें जो सुबह रेली करते हैं और शाम को सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह देते हैं या उस भीड़ को जो कोरोना के कहर से वाकिफ है पर फिर भी निकल पड़ी है जान हथेली पर लेकर।
भई पहले तो कोरोना स्वयं आमंत्रित हुआ था पर अब हम कोरोना को आमंत्रित कर रहे हैं।
जहां एक ओर वैक्सिनेशन का काम चल रहा है वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में कोरोना मरीजों की भर्ती हो रही है।
असुविधा के चलते मरीजों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही डॉक्टर्स के ऊपर प्रेशर भी बढ़ा है।
वैसे प्रेशर की बात करें तो हमारे पुलिसकर्मिर्यों पर भी प्रेशर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है, अभी शहरों में कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु “रोको-टोको अभियान” चल रहा है जिसमें लोगों को मास्क लगाकर बाहर निकलने की सलाह दी जाती है,पर कुछ पुलिस वाले बात न मानने वाले व्यक्ति को समझाने के साथ-साथ मारपीट करने से भी नहीं चूक रहे।
अभी एक विडियो वायरल हुआ जिसमें बताया गया कि एक कोरोना संक्रमित और उसके परिवारजनों (जिनमें महिलाएं भी शामिल थी) को कुछ पुलिसकर्मी लाठी से मार रहे थे।
ये सब देखकर एक ही सवाल मन में उठता है कि भई चल क्या रहा है हमारे देश में?
क्या मनमानी करके या गुस्सा जताकर हम कोरोना से मुक्त हो जायेंगे?
नहीं न,
तो जरुरी है कि अपने अंदर धैर्य रखें और मानवीय संवेदनाओं का ख्याल रखते हुए एक दूसरे के प्रति दया दिखाएं, क्योंकि मुसीबत से ज्यादा बड़ा मुसीबत से जूझने का जज़्बा होता है,और यह बात सदैव स्मरण रखी जाती है कि जब संकट हमारे दरवाजे पर था तो हमने किस तरह उसका सामना किया।


लेखिका / कवयित्री :- अंकिता जैन अवनी, अशोकनगर, मप्र

: यह भी पढ़े :

मगरमच्छ के आसुंओ में डूब गई न्याय की उम्मीद

श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर बावड़ी हादसा हुवा तब हादसे में पीड़ितों को बचाने का …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »