
परिचय :- कीर्ति राणा,मप्र के वरिष्ठ पत्रकार के रुप में परिचित नाम है। प्रसिद्ध दैनिक अखबारों के विभिन्न संस्करणों में आप इंदौर, भोपाल,रायपुर,उज्जैन संस्करणों के शुरुआती सम्पादक रह चुके हैं। पत्रकारिता में आपका सफ़र इंदौर-उज्जैन से श्री गंगानगर और कश्मीर तक का है। अनूठी ख़बरें और कविताएँ आपकी लेखनी का सशक्त पक्ष है। वर्तमान में एक डॉट कॉम,एक दैनिक पत्र और मासिक पत्रिका के भी सम्पादक हैं।
मुझे समझ नहीं आता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ऐसा क्या गलत कह दिया कि बवाल मच गया। अमरीका यात्रा पर गए सीएम ने एयरपोर्ट से कार में गंतव्य की ओर रवाना होते हुए जो दचके खाए होंगे, उससे ही तो उन्हें सड़कों की दुर्दशा का अहसास हो गया होगा। इसीलिए तो उन्होंने ट्विट कर के अपने प्रदेश के लोगों को तत्काल बता दिया कि वाशिंगटन डीसी से बेहतर तो अपने एमपी की सड़के हैं।मैं यहां मजे मारने नहीं, प्रदेश के हित के लिए दचके खाने आया हूं। सरकारी दौरे जनता से वसूले टैक्स पर ही तो हो पाते हैं, पेट्रोल-डीजल-केरोसीन-शराब को राज्य और केंद्र ने इसीलिए जीएसटी के दायरे से बाहर कर रखा है कि इनकी बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व से विदेशी यात्राओं की व्यवस्था होती रहे। शिवराज वहां गए हैं अमरीका में बसे भारतीय अरबपतियों को रिझाने के लिए। वो सारे धन कुबेर जब ग्लोबल समिट में आएंगे तो राज्य को कुछ देकर ही जाएंगे। ये विपक्ष वाले बेवजह बदनाम कर रहे हैं कि मामा एमपी की सड़कों को बेहतर बता कर अमरीका के लोगों को मामू बना रहे हैं। उन्होंने एमपी की सड़कों की तारीफ करके एक तरह से वहां के धन्नासेठों को बताया है कि हमारे पास भी एक सूर्यवंशी, बिल्डकॉन जैसा छोटा सा उद्यमी है जिसने सड़कों को विश्वस्तरीय बनाकर मप्र का गौरव बढ़ाया है।असल में वहां सड़कों की तारीफ करना हांडी के एक चांवल के आधार पर बताना भर है कि एमपी में विकास की गति कितनी तेज है, यह अलग बात है कि पिछले कुछ महीनों से राहुल बाबा यहांवहां बोलते फिर रहे हैं कि विकास पगला गया है। अपने घर की छत पर खड़े होकर चार गली दूर रहने वाले दुश्मन को गाली देना बहुत आसान है। शिवराज सिंह ने तो वो काम किया है जो सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह ही क्यों खुद मोदी नहीं कर पाए। राष्ट्रपति ट्रंप के देश की धरती पर खड़े होकर दमदार तरीके से सड़कों की दुर्दशा बताना, विश्वशक्ति का तमगा लटका कर घूमने वाले ठेकेदार ट्रंप को इस तरह आईना दिखाना कितनी हिम्मत का काम है।अपन तो मुंबई-गोवा-उदयपुर से आगे कहीं गए नहीं इसलिए शिवराज सिंह यदि कह रहे हैं कि वहां की सड़कें अधिक खराब है तो होंगी ही। जिन्हें मानना हो वो मानें अपन तो उन्हें गपोड़ा नहीं मानेंगे, आखिर डेढ़ दशक से वो मप्र के मोरमुकुट ऐसे ही थोड़े हैं। अपन तो शिवराज सिंह की खिल्ली उड़ाने वाले कांग्रेस नेताओं से पूछना चाहते हैं कि यदि मप्र की सड़के खराब हैं और उनके इस बयान से शर्म महसूस हो रही है तो इन तेरह सालों में आप सब ने भी ऐसा क्या किया कि गर्व महसूस किया जाए, आप लोगों को तो चुल्लू भर पानी बहुत पहले तलाश लेना था। राजनीति का गुणा भाग नहीं जानने वाले भी मानने लगे हैं कि दूरदर्शन से गायब हुआ ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ गीत इस राज्य में पक्ष-विपक्ष समवेत स्वर में गा रहे हैं।मप्र में विपक्ष को कहां नजर आईं गड्डेदार सड़कें ? पीएचई मंत्री कुसुम मेहदले की कुछ व्यक्तिगत खुन्नस रही होगी जो उन्होंने केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी को सड़कें चलने लायक नहीं बताते हुए ठीक करवाने की मांग कर दी थी। सड़कें और बिजली न होने के मामले में तो दिग्विजय सिंह का राज बदनाम रहा है। यह तो अच्छा है कि अभी के लोकनिर्माण मंत्री रामपाल सिंह यादव ने हर जिले में ऐसी कुछ सड़कें यथावत रखी हैं ताकि लोगों को तुलनात्मक विकास दिखाने में असली उदाहरण दे सकें। अपन तो राज्यसभा में पेश सड़क परिवहन मंत्रालय की दो साल पुरानी रिपोर्ट को भी आज सही नहीं मानते। २०१५ में सड़क हादसों में मप्र देश में नंबर वन रहा होगा, तब हुए होंगे गड्डों के कारण ३०७० हादसे। आज तो ऐसा कुछ नहीं है ना । सड़कें अच्छी होने से अब यदि जनहानि हो रही है तो इसमें सरकार का क्या दोष? इतने सालों में सीएम जितना हेलीकॉप्टर से घूमें हैं उससे कहीं अधिक सड़क से कार्यक्रमों में गए हैं। उन्हें यदि टापमटॉप वीआयपी रोड से ले जाया गया तो सीएम का क्या दोष? किसी स्थानीय नेता-विधायक ने तो उनसे आज तक मांग नहीं कि अपने क्षेत्र-गांव की सड़कें ठीक कराने की। जनभागीदारी आधार पर सड़कें-स्कूल-अस्पताल सहित जनहित के काम में सरकार इसीलिए उदारता दिखा रही है कि अमरीका को समझ आए कि वहां कि सड़कें यदि एमपी से बेहतर नहीं है तो पीपीपी स्कीम में ठीक करवाने की शुरुआत करे। अपन तो चाहेंगे सीएम ऐसे ही विदेश जाते रहें और अपने प्रदेश के विकास का गुणगान करते रहें।