मोदी अपने संसदीय क्षेत्र में थे और पुलिस लाठियां बरसा रही थी छात्राओं पर !

प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस, और वहां भी वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जहां मदनमोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मोदी ने अपने लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। उस बीएचयू में तब ही प्रदर्शन आंदोलन चरम पर रहा जब प्रधानमंत्री अपने क्षेत्र में सौगातों की बारिश करने दो दिनी यात्रा पर गए थे।छात्रों के इस आंदोलन का कारण भी एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना को विवि प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा गंभीरता से नहीं लेना है।
छात्राएं अपनी शिकायत कुलपति को नहीं तो क्या जापान के शिंजो आबे को बताने जाएंगी। ताज्जुब है कि दो दिन तक कुलपति उनसे मिलने, बात सुनने, समझाने का वक्त ही नहीं निकाल पाए। एक तरफ देश में बेटी को पढ़ाने की बातें और दूसरी तरफ शक्ति पूजा के पर्व में बेटियों पर लाठीचार्ज ! सरकारों के लिए सबसे आसान काम होता है भड़के आंदोलन की आग पर जांच समिति गठन का पानी डालना। हमेशा की तरह मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने बीएचयू मामले में भी यही किया है।
आंदोलन किन कारणों से हिंसक हुआ, लाठीचार्ज, पेट्रोल बम,पुलिस फायरिंग की नौबत क्यों आई ? इस सब की जांच के बाद असली वजह सामने आएगी। दो दिन से लड़कियों की सुरक्षा की मांग को लेकर यदि हजारों छात्र विरोध कर रहे थे तो साफ है कि बीएचयू ने तो गंभीरता समझी ही नहीं, प्रधानमंत्री की यात्रा को देखते हुए प्रशासन-पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने भी छात्रों में फैल रही असंतोष की आग चुनौती बन सकती है, इसे हल करने की दिशा में सतर्कता नहीं दिखाई। बीएचयू की यह हिंसक घटना इस बात को पुख्ता करती है कि वीवीआयपी मूवमेंट के अवसर पर तमाम एजेंसियां वीवीआयपी की हिफाजत को लेकर तो चिंतित रहती हैं लेकिन बाकी शहर और उस दौरान तैर रहे मुद्दों का हल भगवान भरोसे छोड़ देती हैं।
बनारस या यूं कहें उत्तर प्रदेश में छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना को गंभीरता से नहीं लेना इसलिए भी अचरज का विषय है कि इसी प्रदेश से एंटी रोमियो स्क्वॉड की शुरुआत को सीएम योगी ने गुंडे बदमाशों पर नकेल वाला कदम बताया था, ये स्क्वॉड इतना ही कारगर होता तो छेड़छाड़ की घटना या तो होती नहीं या बीएचयू प्रशासन इतना लिजलिजा साबित नहीं होता। जिस तरह देश के नामी विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी के खाते में शिकस्त दर्ज होती जा रही है, ऐसे में बीएचयू की छात्राओं पर लाठीचार्ज की इस घटना के परिणाम और गंभीर होने की आशंका इसलिए भी बढ़ गई है कि सीएम और बीएचयू से खिन्न एक हजार छात्राओं ने दिल्ली में प्रदर्शन के लिए कूच कर दिया है।दिल्ली में नेशनल मीडिया इसे हवा देगा ही, सरकार को अपनी छवि साफ दिखाने के लिए यह कहने का अवसर जरूर मिल जाएगा कि इस आंदोलन को बाहर के लोग भड़का रहे हैं। अभी तो सरकार एक कन्हैया कुमार से परेशान है, हर विवि, कॉलेज में ऐसे तेवर वाले छात्र-छात्राएं मोर्चा संभालें ऐसे अवसर तो खुद सरकारी तंत्र ही उपलब्ध करा रहा है।
बात तो ये भी चर्चा में है कि छेडछाड की कोई रिपोर्ट थाने में दर्ज ही नहीं हुई है क्या कानून पर भरोसा नहीं था या कोई साजिश थी। सवाल यह भी है कि लडकियों के पास बम कहां से आए। जो लडकियां बम चला सकती हैं वो क्या वो मनचलों को ठिकाने नहीं लगा सकती । सवाल कई हैं जवाब किसी के पास नहीं।