इंदौर : कमिश्नर श्री संजय दुबे की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में श्नागरिक केन्द्रित प्रशासनष्ष् विषय पर लोकसेवा दिवस पर जिले के अधिकारियों की विशाल कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कमिश्नर श्री दुबे ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि नौकरशाही के लिये जनहित ही सर्वाेपरि है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की असीम कृपा से हमें जनसेवा का अवसर मिला है। हमें इस अवसर का स्वान्तः सुखाय लाभ उठाना चाहिये। हमें दूसरों से वही व्यवहार करना चाहिये जो हम किसी अन्य से अपेक्षा करते हैं।
कमिश्नर श्री दुबे ने कार्यशाला का सम्बोधित करते हुये यह भी कहा कि अच्छा अधिकारी बनने के लिये अच्छा आदमी होना जरूरी है। सूचना क्रांति के इस दौर में नागरिक सेवायें दिन-ब-दिन बेहतर हो रही हैं। हमें काम को समय-सीमा में निराकृत करना जरूरी है। हमें पक्षपात रहित और विवेकपूर्ण व्यवहार करना जरूरी है। सक्षम अधिकारी वही है, जिसमें निर्णय लेने की क्षमता होती है। हमें नियम और कानून का पालन करते हुये विवेक का इस्तेमाल करना चाहिये। जिसके पास साहस और विवेक की कमी है, वह कभी निर्णय नहीं ले सकता। हम एक संवैधानिक पद पर कार्यरत हैं। हमारे लिये जनहित और राष्ट्रहित ही सर्वाेपरि है। हमें व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिये नौकरशाही को सुधारना होगा, जिसके की हम अभिन्न अंग हैं। सफल अधिकारी वह है, जो प्रतिदिन जनता से मिलता रहता है। जनता से मुलाकात प्रशासन की खामियों का फीडबैक मिलता रहता है। नौकरशाही को राज्य शासन की अपेक्षाओं और कसौटी पर खरा उतरना होगा। कहीं न कहीं प्रशासन में कोई कमी थी, इसलिये राज्य शासन से लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया।
इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक इंदौर रेंज श्री विपिन माहेश्वरी ने कहा कि नागरिक केन्द्रित प्रशासन का मतलब है कि हम जनता से अच्छा व्यवहार करें और उसकी समस्याओं का समय सीमा में निराकरण करें। हमें ईश्वर ने जनता की सेवा का मौका दिया है। इस कसौटी पर हमें खरा उतरना होगा। प्रशासन में और अधिक सुधार की जरूरत है। हमें जनता की अपेक्षाओं को नियम और कानून के तहत पूरा करना होगा।
पुलिस उप महानिरीक्षक इंदौर शहर श्री राकेश गुप्ता ने अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि सिविल सेवा में आना एक सौभाग्य की बात है। हम यहां पर आकर देश में क्रांतिकारी सुधार तो नहीं ला सकते, मगर जनता की समस्याओं का अपने स्तर से समाधान जरूर कर सकते हैं। प्रदेश में कभी भी कोई भी व्यक्ति किसी भी अधिकारी से मिल सकता है। हर अधिकारी का काम करने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ अधिकारी बहुत ही सक्रिय होते हैं और नये-नये प्रयोग करने के आदी होते हैं, वे ट्रांसफर के बाद जिले में अपनी छाप जनता के मन पर छोड़ जाते हैं। मीडिया प्रशासन की समय-समय पर समीक्षा करता रहता है। शासन के हित में ही जनता का हित निहित है।
अधिकारियों ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया और समय-सीमा में प्रकरणों का निराकरण नहीं किया, इसलिये नियामक आयोगों (लोकायुक्त, सीबीआई, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) का जन्म हुआ। अधिकारियों को शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन का दायित्व सौंपा गया है। उसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं होना चाहिये।