वृद्धजनों के अनुभवों का लाभ परिवार, समाज एवं जिले के विकास में लें – श्री दुबे

शिवपुरी (IDS-PRO) अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर ‘‘वृद्धजनों के अधिकार’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला नवीन कम्यूनिटी हाॅल गांधी पार्क शिवपुरी में जिला कलेक्टर श्री राजीव दुबे के मुख्य आतिथ्य में सपन्न हुई। कार्यशाला की अध्यक्षता पुलिस अधीक्षक श्री एम.एल.छारी ने की। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में आईटीव्हीपी के कमान्डेट श्री रोशनलाल ठाकुर, सिविल जज वर्ग-2 श्री एम.एन.एच.रजवी, स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक श्री दिनकर अर्गल, डिप्टी कलेक्टर श्री मुकेश शर्मा उपस्थित थे।

महिला शक्तिकरण, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग और स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में म.प्र. मानव अधिकार आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर वृद्धजनों के अधिकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर वृद्धजनों को शाॅल, श्रीफल एवं पुष्पहार से सम्मानित किया गया।
जिला कलेक्टर श्री राजीव दुबे ने कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि समय के अनुसार सामाजिक परिवेश एवं हर पीढ़ी में बदलाव आया है। वर्तमान परिवेश में संयुक्त परिवार के विघटन होने एवं युवा पीढ़ी के आर्थिक आत्मनिर्भर होने के कारण परिवार में बुजुर्गों का वित्तीय नियंत्रण कम हुआ है। लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि हम वृद्धजनों के दीर्घकालीन अनुभवों का लाभ परिवार, समाज एवं जिले के विकास में ले। श्री दुबे ने कहा कि हम सभी शासकीय सेवकों का दायित्व ऐसा होना चाहिए कि वृद्धजनों को बिना परेशानी के उनको हक मिले और उन्हें योजनाओं का लाभ लेने हेतु भटकना न पड़े। उन्होंने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वृद्धजनों की मदद पूरे मन के साथ करें। इस कार्य को बोझ न समझे।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए पुलिस अधीक्षक श्री एम.एल.छारी ने कहा कि अपराधी एवं सामान्य व्यक्ति के मानव अधिकारों में किसी प्रकार का भेद नहीं होता है, दोनों के समान अधिकार होते है। आज की पीढ़ी में ममता, प्रेम एवं संस्कारों की जो कमी महसूस की जा रही है उसके पीछे माता-पिता का बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं देना है। अतः माता-पिता अपने बच्चों को पूरी जिम्मेदारी के साथ समय दें।

सिविल जज वर्ग-2 श्री एम.एन.एच.रजवी ने वृद्धजनों के मानवाधिकारों के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने वृद्धजनों के अधिकारों के लिए अर्जेंटीना ने सबसे पहले मांग रखी थी। उन्होंने बताया कि 1993 में मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया और 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिकार अधिनियम भी लागू हुआ। उन्होंने वृद्धजनों को मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं के बारे में भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसी वृद्ध महिलाजन जिनकी आयु 58 वर्ष और पुरूषों की आयु 60 वर्ष है, उन्हें रेल्वे टिकट के लिए प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता नहीं है। रेल्वे स्टेशनों पर वृद्धजनों के लिए निःशुल्क व्हीलचेयर, विशेष काउन्टर और ट्रेनों में निचली वर्थ देने की वरीयता दी गई है। इसके साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना शुरू कर वृद्धजनों को सम्मान दिया है।

उपसंचालक सामाजिक न्याय श्री एच.आर.वर्मा ने कहा कि 22 अप्रैल 2012 को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वृद्धजनों के सम्मान में वृद्धजन पंचायत का आयोजन किया। राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण आयोग का गठन किया गया। उन्होंने वृद्धजनों के लिए वृद्धाश्रम, डे-केयर सेंटर के बारे में भी जानकारी दी। डिप्टी कलेक्टर श्री मुकेश शर्मा ने कहा कि एकल परिवार के कारण वृद्धजनों के सम्मान में कमी आई है। समाज को भी वृद्धजनों के प्रति नजरिया बदलना होगा। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक श्री दिनकर अर्गल ने वृद्धजनों एवं पेंशनरों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं के संबंध में जानकारी दी।

कार्यशाला में मानव अधिकार आयोग के आयोग मित्र एवं जिला संयोजक श्री आलोक एम.इंदौरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि बुजुर्गों के कल्याण के लिए अधिनियम लागू करने वाला म.प्र. देश का पहला राज्य है। मानव अधिकार आयोग ने इस वर्ष वृद्धजनों पर केन्द्रित कार्यक्रम का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों के कारण ही भावी पीढ़ी का अस्तित्व है। माता-पिता का सम्मान करने वाला भारत दुनिया का 73वां देश है। कार्यक्रम के शुरू में आयोग मित्र श्रीमती प्रतिभा पाण्डे ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुजुर्ग हमारे मार्गदर्शक रहे है। उनकी छत्रछाया में ही हमारा लालन-पालन एवं विकास हुआ है। कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री ओ.पी.पाण्डे, आयोग मित्र श्री आर.सी.एल.जाटव सहित वृद्धजन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री आदित्य शिवपुरी ने किया।

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