देश में 2019 तक सबके लिए रात दिन बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ, सरकार ने बिजली निर्माण, पारेषण एवं वितरण को सुदृढ़ करने, उपभोक्ताओं के लिए बिजली के फीडर एवं मीटरिंग को अलग करने केलिए सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। पूर्वोत्तर बिजली प्रणाली सुधार परियोजना तथा पूर्वोत्तर राज्यों में पारेषण एवं वितरण को सुदृढ़ करने की व्यापक योजना को मंजूरी देकर पूर्वोत्तर पर विशेष ध्यान दियागया है। सुधार एवं पुनर्संरचना के मामले में, विद्युत अधिनियम एवं प्रशुल्क नीति में विविध संशोधन किए जा रहे हैं। बिजली क्षेत्र के लिए, कोयला खंडों की ई-नीलामी की विधि पूरी तरह पारदर्शी, ज्यादा बिजलीनिर्माण को प्रोत्साहन और दक्षता एवं बिजली प्रशुल्कों को आदर्श बनाने पर ध्यान दिया गया है।
सभी घरों में रात-दिन बिजली उपलब्ध कराने के लिए व्यापक राज्य विशिष्ट कार्य योजना संबंधित राज्यों की भागीदारी में तैयार की जा रही है जो बिजली निर्माण, पारेषण और वितरण पर केंदित है। बिजली मंत्रालयने ”सबके लिए बिजली” पहल के तहत आंध्र प्रदेश सरकार के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका उद्देश्य अक्तूबर 2016 तक समूचे राज्य में बिजली उपलब्ध कराना है। दिल्ली और राजस्थान के लिएयोजनाएं पूरी हो चुकी हैं तथा कार्यान्वयन के लिए तैयार हैं। अन्य राज्यों के लिए तैयारी की जा रही है।
पावरग्रिड द्वारा 765 किलोवाट रायचुर-सोलापुर पारेषण लाइन दिसंबर, 2013 में चालू तथा बाकी ग्रिड के साथ दक्षिणी क्षेत्रीय (एसआर) ग्रिड का तुल्यकालिक इंटरकनेक्शन हासिल किया गया जिससे एक राष्ट्र-एकग्रिड-एक आवृति का सपना साकार हो गया। पावरग्रिड के मार्गदर्शन में निजी क्षेत्र की भागीदारी से 765 किलोवाट रायचुर – सोलापुर पारेषण लाइन का दूसरा सर्किट 30 जून, 2014 को पूरा हो गया। 765 किलोवाटपारेषण लाइन चालू होने के साथ, इंटरकनेक्शन से 249 जीडब्ल्यू की अखिल भारतीय तुल्यकालिक ग्रिड और दुनिया में सबसे बड़ी तुल्यकालिक ऑपरेटिंग ग्रिड में से एक हासिल करने में मदद मिली है।
देश में विशाल स्तर पर स्मार्ट ग्रिड पहल के मुख्य मुद्दों से निपटने के लिए तथा भारतीय बिजली के बुनियादी ढांचे को किफायती, जवाबदेह और विश्वसनीय बनाने के लिए नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन आरंभ होने जारहा है। समग्र रूप से देश के लिए समेकित अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-राज्य और अंतः – राज्य पारेषण नेटवर्क के लिए 20 वर्ष की परिप्रेक्ष्य योजना बनाई गई है। यह भारत में सभी घरों में 24 घंटे सातों दिन बिजली उपलब्धकराने के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण रीढ़ साबित होगी।
देश में ”सबके लिए रात–दिन बिजली” उपलब्ध कराने की बिजली मंत्रालय की प्रमुख पहल का विवरण इस प्रकार है:
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना:
2014 – 15 के बजट में घोषित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सभी स्तरों पर मीटर लगाने सहित फीडर अलग करने, सब-ट्रांसमिशन एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत करने कीपरिकल्पना की गई है। स्कीम के प्रमुख घटक हैं: फीडर अलग करना, सब-ट्रांसमिशन एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत करना, इनपुट पाइंट, फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मर, माइक्रो ग्रिड और ऑफ ग्रिड वितरणनेटवर्क और पहले से मंजूर परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण सहित सभी स्तरों पर मीटर लगाना। इस स्कीम से ग्रामीण घरों में रात-दिन बिजली उपलब्ध कराने तथा कृषि उपभोक्ताओं कोपर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी। इस स्कीम पर 43,033 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है जिसमें समूची कार्यान्वयन अवधि में भारत सरकार से 33,453 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन कीआवश्यकता होगी।
समेकित बिजली विकास योजना:
समेकित बिजली विकास योजना ग्रामीण क्षेत्रों में सभी स्तरों पर मीटर लगाने सहित सब-ट्रांसमिशन एवं वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाने पर बल देती है। परियोजना के प्रमुख घटकों में सब-ट्रांसमिशन एवं वितरणनेटवर्क को मजबूत करना, मीटर लगाना, आइटी एप्लिकेशन-इआरपी और ग्राहक देखभाल सेवाएं, सौर पैनलों का प्रावधान तथा पुनर्गठित त्वरित बिजली विकास एवं सुधार कार्यक्रम के वर्तमान में जारी कार्य को पूराकरना शामिल हैं। परियोजना की अनुमानित लागत 32,612 करोड़ रुपये है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र बिजली प्रणाली सुधार परियोजना:
पूर्वोत्तर क्षेत्र बिजली प्रणाली सुधार परियोजना छह राज्यों असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड के लिए है ताकि 89 करोड़ रुपये के क्षमता निर्माण व्यय सहित 5,111.33 करोड़ रुपये की अनुमानितलागत से अंतः-राज्य पारेषण एवं वितरण प्रणाली को मजबूत की जा सके। यह योजना विश्व बैंक के ऋण और बिजली मंत्रालय के बजट की सहायता से कार्यान्वित की जानी है। इस परियोजना के कार्यान्वयन सेविश्वसनीय राज्य पावर ग्रिड का निर्माण होगा और आगामी लोड केंद्रों तक कनेक्टिविटी सुधरेगी और इस प्रकार सभी उपभोक्ताओं को ग्रिड से जुड़ी बिजली का फायदा मिलेगा। यह परियोजना उपलब्धता एवंविश्वसनीयता में सुधार के जरिए ग्रिड से जुड़ी बिजली आपूर्ति तक ग्राहकों की पहंुच बढ़ाने के माध्यम से ”सबके लिए बिजली” का राष्ट्रीय उद्देश्य हासिल करने की दिशा में प्रमुख कदम है। इस प्रकार समावेशी वृद्धिसुगम होगी। इससे इन राज्यों में प्रति व्यक्ति बिजली खपत भी बढ़ेगी जो औसत राष्ट्रीय खपत से पीछे हैं तथा इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी योगदान मिलेगा।
सरकार का एक और प्रमुख फैसला ”अरुणाचल प्रदेश एवं सिक्किम में पारेषण एवं वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए व्यापक योजना ” रही। फिलहाल, अरुणाचल प्रदेश के 20 जिलों में से सिर्फ पांच ही 132 /220 किलोवाट के पारेषण नेटवर्क से जुड़े हैं। यह परियोजना पहला फंड जारी होने से 48 महीनों के अंदर कार्यान्वित की जानी है।
विनियामक सुधार:
बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 19 दिसंबर, 2014 को विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2014 लोक सभा में पेश किया। विद्युत अधिनियम, 2003 में प्रस्तावित संशोधनबिजली क्षेत्र में और सुधारों की महती आवश्यकता पूरी करेंगे। इन संशोधनों से देश में स्पर्द्धा, ऑपरेशन में दक्षता और बिजली की आपूर्ति की गुणता में सुधार होगा जिसके फलस्वरूप क्षमता बढ़ेगी और आखिरकारउपभोक्ताओं को लाभ होगा।
बिजली, कोयला एवं नवीकरणीय ऊर्जा के समेकित विकास के लिए परामर्श समूहः
परामर्श समूह ने अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के संबंध में समुकालिक मुद्दे और चुनौतियां शामिल हैं।
बिजली सुधारों के लिए स्वतंत्र कंपनी (पोसोको)
सरकार ने स्वतंत्र सरकारी कंपनी के रूप में बिजली प्रणाली प्रचालन निगम (पोसोको) की स्थापना का फैसला किया है। इस प्रक्रिया में, राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र, सुरक्षित और विश्वसनीय बिजली प्रणाली प्रचालननिकाय के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत जनादेश के रूप में संस्थागत रूपरेखा बनाई गई। पोसोको नेशनल लोड डिसपैच सेंटर और क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर को संचालित करती है जो देश में कार्यरतगतिशील विद्युत बाजार को संचालित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं। पोसोको को बिजली क्षेत्र में प्रमुख सुधारों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में विनिर्दिष्ट किया गया है जैसे नवीकरणीय ऊर्जा सर्टिफिकेट व्यवस्था,पारेषण कीमत, पारेषण में लघु अवधि मुक्त प्रकिया, विचलन निर्धारण तंत्र, बिजली प्रणाली विकास निधि इत्यादि।
दिल्ली में बिजली पारेषण पद्धति को मजबूत करने के लिए 2 अरब रुपये:
सरकार ने दिल्ली में 2014-15 के दौरान बिजली पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए 2 अरब रूपये की राशि और योजना स्वीकृत की है। इस योजना के कार्यान्वयन से दिल्ली क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति कीविश्वसनीयता बढ़ेगी।
महत्वपूर्ण परियोजनाएं -प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित या आधारशिला रखी:
- जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में एनएचपीसी का 240 मेगावाट उड़ी पॉवर स्टेशन। यह करीब 23 अरब रुपये की लागत से झेलम नदी पर बहती धारा पर बनी परियोजना है।
- जम्मू-कश्मीर के करगिल जिले में 44 मेगावाट चुटक पनबिजली परियोजना। 216 मेगायूनिट बिजली निर्माण के लिए यह सुरू नदी पर बहती धारा पर बनी परियोजना है।
- 45 मेगावाट नीमू-बाजगो पन बिजली परियोजना। यह परियोजना लद्दाख क्षेत्र के लेह जिले में सिंधू नदी की क्षमताओं से लाभ उठाने के लिए बहती धारा पर बनी परियोजना है। यह परियोजना 239 मेगायूनिट बिजली निर्माण के लिए तैयार की गई है।
- लेह से करगिल और करगिल से श्रीनगर पहली बिजली पारेषण लाइन की आधारशिला। यह 375 किलोमीटर पारेषण लाइन द्रास, करगिल, लेह और खाल्स्ती में 220/33 किलोवाट सब-स्टेशन के साथ लद्दाखमें लेह/करगिल क्षेत्र को 220 किलोवाट लेवल पर उत्तरी पॉवर ग्रिड से जोड़ेगी।
- महाराष्ट्र में रायचुर-शोलापुर 765 किलोवाट पारेषण लाइन। इस पारेषण लाइन से उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की क्षेत्रीय ग्रिड से दक्षिणी क्षेत्रों को बिजली के अंतरण के लिए बुनियादी ढांचे कीस्थापना हुई है।
- महाराष्ट्र के नागपुर जिले में माउंडा सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट स्टेज – 1 (1000 मेगावाट)। इस परियोजना की क्षमता 1320 मेगावाट (2 x 660 मेगावाट) स्टेज – 2 के पूरा होने पर 2320 मेगावाट हो जाएगी।
- झारखंड में 765 किलोवाट रांच-धर्मजयगढ़ – सिपट पारेषण लाइन तथा 3 x 660 मेगावाट उत्तरी करणपुरा सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ। यह लाइन पूर्वी क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र के बीच पहला 765किलोवाट अंतर-क्षेत्रीय लिंक है।
- कांति बिजली उत्पादन निगम लि. के मुजफ्फरपुर थर्मल पॉवर स्टेशन (स्टेज 1) की 110 मेगावाट यूनिट तथा एनटीपीसी के बारा सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन की पहली 660 मेगावाट यूनिट ने वाणिज्यिकउत्पादन शुरू कर दिया है। इसकी घोषणा केंद्रीय बिजली, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री पीयुष गोयल ने बिहार में की। 2 x 195 मेगावाट क्षमता की यह परियोजना फिलहालनिर्माणाधीन है। बिहार को परियोजना से 484 मेगावाट ( पहले चरण से 220 मेगावाट और दूसरे चरण से 264 मेगावाट) बिजली मिलेगी जो परियोजना क्षमता का 80 प्रतिशत है।
पारेषण:
- पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने क्षतिपूर्ति वनीकरण के संबंध में सभी निजी पारेषण डेवलपर्स को सार्वजनिक क्षेत्र के डेवलपर्स के समान माने जाने के लिए पारेषण लाइनें बिछाने के लिए दिशानिर्देशों कोसंशोधित किया है।
- प्रशुल्क आधारित स्पर्द्धा बोली के तहत कार्यान्वित की जाने वाली 12.272 करोड़ रुपये की नौ पारेषण लाइन को मंजूरी दी गई है।
- पॉवर ग्रिड में संरक्षण प्रणाली के संस्थापन के लिए करीब 75 अरब रुपये की बिजली प्रणाली विकास निधि का आरंभ।
बिजली वितरण:
देश में व्यापक स्तर पर स्मार्ट ग्रिड पहल के प्रमुख मुद्दों से निपटने के लिए तथा भारतीय बिजली बुनियादी ढांचे को किफायती, जवादेह और विश्वसनीय बनाने के लिए नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन आरंभ किया जा रहाहै।
ऊर्जा दक्षता:
सरकार ने अगस्त 2014 में 775 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ ऊर्जा दक्षता वृद्धि पर राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन में अलग-अलग इकाइयों में दक्षता के लिए प्रदर्शन, हासिल करने और व्यापाररूपरेखा, ऊर्जा दक्षता परियोजनओं की फंडिंग के लिए उपक्रम पूंजी कोष और आंशिक जोखिम गारंटी कोश तथा सुपर दक्ष विद्युत उपकरण शामिल हैं।
- अगस्त 2014 में ऊर्जा दक्ष आवासीय अपार्टमेंट के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।
- डीजल जनरेटर सेट और अस्पताल भवनों के लिए ऊर्जा दक्ष रेटिंग प्रोग्राम अधिसूचित किया गया।
एलइडी प्रतिस्थापन:
संबद्ध एवं अधीनस्थ कार्यालय सहित भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया गया है कि सीएफएल/इनकैंडीसेंट बुल्स को एलइडी बल्ब से बदला जाए। वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया गया है किअपनी आवश्यकता के लिए सीएफएल/आइसीएल बल्ब के बजाय सरकार के सभी विभागोंसे एलइडी बल्ब खरीदे जाएं। इसी प्रकार, डीजीएस और डी से भी एलइडी बल्बों को स्टॉक में शामिल करने का अनुरोध कियागया है ताकि सरकारी खरीद के लिए उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। हाल ही में विशाखापट्टनम में हुदहुद तूफान की तबाही के बाद, ऊर्जा दक्षता सेवाएं लि. ने 91,000 स्ट्रीट लाइट की जगह एलइडी लाइट बदली हैं।
ऊर्जा सहयोग के लिए सार्क रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर का अनुमोदन:
नेपाल की राजधानी काठमांडू में 26-27 नवंबर, 2014 को 18वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान सार्क के सदस्य देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते से समूचे सार्क क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता बढ़नेकी उम्मीद है। इससे क्षेत्रीय पॉवर ग्रिड का समेकित प्रचालन सुगम होगा।
नेपाल के साथ समझौते पर हस्ताक्षरः
नेपाल सरकार और भारत के बीच ”इलेक्ट्रिक पॉवर ट्रेड – सीमा पारेषण इंटरकनेक्शन और ग्रिड कनेक्टिविटी” पर समझौता हुआ जिस पर नेपाल सरकार के ऊर्जा मंत्रालय में सचिव और भारत सरकार के बिजलीसचिव ने नेपाल के काठमांडू में 21/10/2014 को हस्ताक्षर किए।