Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

रंग… अब बिदा भये

बासन्ती बयारों के संग आये रंग, फ़ागुण में छाए और जमकर बरसे अगले बरस फिर लौटकर आने का वादा कर छोड़ गए अपनी रंगत चौक-चौबारों, गली-मोहल्लों में छोड़ गए अपने निशान, देह पर छोड़ी छाप घर-आँगन, मन आँगन में अक्स छोड़ गए रंग रंग… अब बिदा भये। अगले बरस फिर से लौटकर आने का वादा कर अलविदा हुए रंग। जो …

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“याद”

‘याद’ का ना होना ‘भूलना’ नहीं हैजैसे सुख का ना होना दुख नहीं हैऔर उम्मीद का ना होना नाउम्मीदी से अलग है एक समय के बादहोने और ना होने के बीचकोई फ़र्क नहीं रह जातादुःख की शक्ल सुख से मिलने लगती हैदुःख अंततः अपना लिया जाता हैफिर सुख का एक क्षण भीव्यवधान सा लगता है ‘याद’ जिए हुए सुख का …

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हम रीते ही मर जाएंगे…

युद्ध की आहट पर पनपता है प्रेमविदा होते हुए प्रेमीशिद्दत से चूमते हैं एक-दूसरे कोऔर जमा कर लेते हैं इतना प्यार किगुज़ारा हो सके उम्र के आख़री बसंत तक लेकिन सरहद से हज़ारों मील दूरयहाँ इस शांत शहर में, नहीं पहुंचेगी कोई मिसाइल कभीनहीं फटेगा कोई बमनहीं दहलेगी ज़मींनहीं कांपेगा आसमांबंदूके रोक ली जाएंगी सरहदों परनहीं होगा कोई धमाका कभी और …

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स्मृतियाँ

IDS Live

यहाँ कुछ नहीं ठहरा हैयहाँ कुछ नहीं ठहरेगासिवाय स्मृतियों के….. कुहासे में धुंधलाईतस्वीरों का कोलाज,संवादों की प्रतिध्वनि,और पलकों की कोर से झरी हुईकुछ उपेक्षित कविताएँ ठहरी रहेंगी यहाँसांसों के आने जाने के बीच और ठहरे रहेंगेआत्मा को बिंधते असंख्य नुकीले प्रश्न,रूठी आँखों में जागतीअनमनी प्रतिक्षाएँऔर दोनों ध्रुवों के बीच पसरानिष्ठुर मौन,  कुछ और भी हैजो ठहर जाता है वक्त बेवक़्ततंग रास्तों पर …

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ड्रिंक एंड ड्राइव

माँ मैं एक पार्टी में गया था।तूने मुझे शराब नहीं पीनेको कहा था, इसीलिए बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे और मैं सोडा पीता रहा।लेकिन मुझे सचमुच अपने परगर्व हो रहा थामाँ, जैसा तूने कहा था कि ‘शराब पीकरगाड़ी नहीं चलाना’। मैंने वैसा ही किया।घर लौटते वक्त मैंने शराब को छुआ तक नहीं, भले ही बाकी दोस्तों नेमौजमस्ती …

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“मां से सीखा है” – मदर्स डे स्पेशल

मां को बच्चों की प्रथम गुरु कहा है।मां हमेशा अपने बच्चों को सही-गलत और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है।जीवन में जब भी कुछ समझ नहीं आता, कोई रास्ता नहीं सूझता तो मां से बात करने से उनकी गोद में सिर रखकर अपने मन का हाल उन्हें बताने से हमें नया रास्ता भी मिल जाता है और एक उम्मीद भी …

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तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?

तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??तुम तो नक्सलियों के साथ देश के विरुद्ध ही लड़ते रहे..तुम तो पुलिस, CRPF और पैरामिलेट्री फोर्स से RDX बिछाकर , बम से उड़ाकर और घात लगाकर लड़ते रहे .. तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?तुम तो कभी नार्थईस्ट, तो कभी पंजाब , तो कभी कश्मीर को भारत से अलग करने के लिये …

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उन सभी बेटियों को समर्पित, जो दूर, अपने संसार में व्यस्त हैं, और अपने घर गृहस्थी कि कर्तव्य निभा रहीं हैं…

IDS Live

माँ का घर ,जो अब भी नहीं भूला !! बरसों बीत गए ,उस घर से विदा हुए ,बरसों बीत गए ,नई दुनिया बसाए हुए ,पर न जानें क्या बात है ?शाम ढलते ही मन ,उस घर पहुँच जाता है !! माँ की आवाज़ सुनने को ,मन आज भी तरसता है ,महक माँ के खाने की ,आज भी दिल भरमाती है …

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“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

कुछ महिलाए ऐसी भी है जो अधिकार का दुरप्रयोग कर रही है… साहब मैं थाने नहीं आउंगा,अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा” मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।चाहत मेरी भी बस …

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।। पटाक्षेप ।।

ये विरासतये फलसफेये शोहरतेंये नामावरीये सियासत एक दिनसब रह जाएगापीछे बहुत पीछेजब वक़्त से आगेनिकल जायेंगे हम यकीं नहीं आताजब तलकवह समय नहीं आताआदमी अचानकचला नहीं जाता जिंदगी अच्छी औरसच्ची लगती हैमुस्कुराती हुईहंसती खेलतीनटखट नाटक सी मशीन रुकने सीबंद होती धड़कनेंदिमाग मर जाता कभीमौत हकीकत बन फख्र सेदर्ज होती प्रमाण पत्र में रास्ते ढूंढ़ती हैपगडंडियों से आती हैखुले राजपथ परशान …

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