यूँ तो भारत सदैव ही महान चिंतकों और चिंतितों का देश रहा है, लेकिन कोरोना काल में देश में चिंतकों का जैसे सैलाब सा आ गया है। प्यारे जी इसी सैलाब में उफनकर आये हुए चिंतक हैं और अक्सर चिंतित रहते हैं। लेकिन भारत जैसे खिचड़ी देश में चिंतक होना भी कहाँ आसान है। हमारे यहाँ समस्याओं की आवृत्ति इतनी …
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