“याद”
‘याद’ का ना होना ‘भूलना’ नहीं हैजैसे सुख का ना होना दुख नहीं हैऔर उम्मीद का ना होना नाउम्मीदी से अलग है एक समय के बादहोने और ना होने के…
भगवान् भावके भूखे हैं
गृहस्थ में रहने वाले एक बड़े अच्छे त्यागी ब्राह्मण पण्डित थे। त्याग केवल साधुओं संतो में ही नहीं होता। गृहस्थ में, सन्यास में, साधु में, सभी में त्याग हो सकता…
हम रीते ही मर जाएंगे…
युद्ध की आहट पर पनपता है प्रेमविदा होते हुए प्रेमीशिद्दत से चूमते हैं एक-दूसरे कोऔर जमा कर लेते हैं इतना प्यार किगुज़ारा हो सके उम्र के आख़री बसंत तक लेकिन…
स्मृतियाँ
यहाँ कुछ नहीं ठहरा हैयहाँ कुछ नहीं ठहरेगासिवाय स्मृतियों के….. कुहासे में धुंधलाईतस्वीरों का कोलाज,संवादों की प्रतिध्वनि,और पलकों की कोर से झरी हुईकुछ उपेक्षित कविताएँ ठहरी रहेंगी यहाँसांसों के आने जाने…