कलमयुग की तस्वीर

चेहरे खिले हैं कायरों के जरुर कोई वजह खास है, षड्यंत्र के फंदे में जैसे हुनरबाज की छीन ली साँस है। बेशर्म विधा को देखकर ताली बजा रहे हैं लोग,…

Light Life at 4am

Darker the souls, Deeper the thoughts. Darker the night it shows more blue sides. And when death speaks the language of mind, it becomes way too beautiful to feel the…

“जानता हूँ मैं यह सब कि…”

जानता हूँ मैं यह सब कि है आपको मुझसे बहुत-सी अपेक्षाएँ …. किन्तु जानते यह नहीं कि मैं हूँ अकिंचन …. उलझा हुआ स्वयं अपने ही में निर्भर हूँ पूर्णतः…

बैठो न तुम सामने मेरे

बैठो न तुम सामने मेरे बिखरा के अपनी काली- उलझी ज़ुल्फें, कलम मचल-मचल उठती है लिखने के लिए कुछ फ़लसफ़ा अनकहा ज़िन्दगी के खाली बेतरतीब पन्नों पर. बैठो न तुम…

स्त्री हूँ मैं

द्वैत अद्वैत क्या है ना जानती थी रिश्तों की पूरक हूँ सप्तपदी के वचनो को समझ सकी थी इतना ही आधे भरे हो तुम आधे को भरना है मुझे नही…

मालवो म्हारो

मालवो म्हारो है घणो प्यारो | डग -डग नीर पग-पग रोटी | या वात वइगी अब खोटी | यां नी है मुरखां को टोटो | यां को खांपो भी है…

होली

नेह, प्रेम, अपनत्व ले, आया होली पर्व । हृदय-ह्रदय से मिल रहे, रंग कर रहे गर्व ।। अंतर्मन में हर्ष है, मन में है उल्लास । शोक रहे न शेष…

डमरू वाला

विष बदल जाये अमृत की धारा तिरस्कृत को भी स्नेह अपारा जटाजूट मृगछाल को धारा है अनूठा सौंदर्य तुम्हारा जय शिवशंकर जय बम भोले जय जय जय डमरू वाला —–…

यह बिटिया प्यारी-सी

यह बिटिया प्यारी-सी लेकर जो खिलौना हाथ में एक सुन्दर-सा,,,, टहल रही है मेरे घर-आँगन के उपवन में , ज्यों थिरक रही हो कोई कलिका मंद हवा के झोंकों से…

क्या सचमुच 'मैं' 'वह' नहीं हूँ , जो 'मैं' हूँ ?

शाम की गो-धूलि वेला में …. जब कर रही थी जुगलबंदी घर लौट रही गायों के गले में बंधी घंटियों की रुन-झुन मंदिरों की आरती में बज रही घंटियों के…