ऐ नदी
अपने उदगम की वेला में अप्रतिम ऊर्जा के साथ पत्थरो को तोडते हुए, और फिर पंछियों संग सुर मिला गीत गाते हुए, पहाड़ों के बीच दरख्तों, बेलों औ’ चट्टानों से…
मौत से ठन गई
ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यों लगा ज़िन्दगी से…
इबारत ए इश्क
अन्फ़स (सुन्दर) ख्वाबों के मेरे शहज़ादे सज़दे में तेरे मोती बिखराए रात भर मेरी स्याह तन्हाई … सिसकियाँ सरगम सुनाती रहीं रातभर हकीक़त ए हाल(सच्चाई ) जान मुस्काए चंदा कमबख्त…
ससुराल
एक लडकी ससुराल चली गई, कल की लडकी आज बहु बन गई. कल तक मौज करती लडकी, अब ससुराल की सेवा करती बन गई. कल तक तो ड्रेस और जीन्स…
श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय चहूं ओर तूफ़ान के धारे,मैली हवा वीरान किनारे जीवन नैया सांई सहारे फिर…
“मौत” की सोच
कभी एक पल के लिए ठहर ज़रा “मौत” के बारे में सोच, और खींच मत अपना ही “अंत” अपने दोनों हाथों से अपनी ही ओर, बन कठोर इतना की हो…
"मौत" की सोच
कभी एक पल के लिए ठहर ज़रा “मौत” के बारे में सोच, और खींच मत अपना ही “अंत” अपने दोनों हाथों से अपनी ही ओर, बन कठोर इतना की हो…
बेआबरू इंसानियत
ज़लालत की ये अजब दास्ताँ है सुन के बस कलेजा कांपता है किसी मज़लूम, बेबस पे जो टूटे ये जालिमों के ज़ुल्मों की इंतेहा है ! ज़लालत की ये अजब…
फूलों से शोख उपवन
बसंत के सुरूर में .. कुदरत ने लिखी इबारत.. कतीब (लिखी हुई).. खूबसूरत ग़ज़ल गुलरुख(फूल से सुंदर) शेर से .. हर शाख को सजाया फूलों से शोख उपवन को गुलजार…
एक घर की कहानी
पुछ मत सपनो में किस तरह मिलते है घर देख ले आँखों में आशा की तरह पलते है घर बेघरो से कभी पुछ तो… घर के सुकून की तिशनगी जनम…