सब ग्लानि से भरे थे….!

अलविदा उमेश भाई, ये स्वार्थी ज़माना तुम्हारा था भी नहीं

नम आंखों और कांपते हाथों से तुम्हारे शव को कांधे पर उठाते वक्त इंसान ही नहीं, आसमान का आंसू बहाना और श्मशान में अग्नि का तुम्हारी देह को छूते वक्त कांप जाना, यह सामान्य क्रिया नहीं है, बल्कि ये सब ग्लानि से भरे थे। उन्हें हर क्षण याद आ रहा था, तुम्हारा पूर्ण समर्पण भाव, जो तुम्हारी अंतिम यात्रा में शामिल लगभग हर नेता की सफलता की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सीढ़ी बना। आसमान रोया क्योंकि वह साक्षी रहा है, तुम्हारे जीवटता भरे कर्मशील परिश्रम का। संगठन को खड़ा करते वक्त सड़कों पर दरिया बिछाते और कोरोना काल में गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करते हुए दिन-रात की परवाह किए जमीन को बिछोना और आसमान की चादर ओढ़कर सोने वाले योद्धा को उसने देखा था। तुम्हारी निष्प्राण देह को छूते वक्त अग्नि भी कांप गई क्योंकि कोरोना काल और ऐसे ही कई विपरीत समय में तुमने इसी अग्नि की आंच में लोगों के लिए जीवदायी भोजन पकाया था। फिर चाहे तुम्हारा खुद का शरीर तप कर अग्नि क्यों न हो रहा हो। 

कभी अपने लिए स्पेस नहीं मांगा
‘उमेश भाई’ सदैव यही संबोधन रहा मेरा और मुझसे बड़े होकर भी उनका आत्मीयता से हमेशा ‘निर्मल भैया’ कहना। पत्रकारिता की वजह से उनसे जीवंत रिश्ता रहा। उनकी वक्तव्य शैली से मैं अपने शिक्षण काल से प्रभावित रहा और अपनी पढ़ाई के दौरान कॉलेज तक मैं भी भाषण कला का प्रतिभागी बना। पिछले 32 साल की पत्रकारिता मैं इस शहर, प्रदेश और देश के नेताओं में वे अकेले थे, जिन्होंने कभी अपने लिए स्पेस की मांग नहीं की। मां सरस्वती के आशीर्वाद से यह वैभव उन्हें स्वयं ही खूब हासिल था। करीब 25 वर्ष पूर्व जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समाचारों के अलावा राजनीतिक चर्चाओं पर केंद्रित कार्यक्रम बनने लगे तो उमेश भाई हमारे लिए ऐसे थे कि किसी भी विषय पर और कभी भी वे आकर अपना मोर्चा संभाल लेंगे, बस चिंता यह रहती थी कि उनसे भिड़ने वाला विपक्षी कौन होगा, क्योंकि अधिकांश नेता उनका नाम सुनकर न आ पाने का बहाना बनाकर बच निकलते थे। यदि कोई आ भी जाता तो धीरे से यह रिक्वेस्ट कर लेता कि ‘भैया’ संभाल लेना। टीवी डिबेट में कई बार तीखी बहस के बावजूद वे टेबल से उठते ही सामने वाले के मन में कुछ देर के लिए आई कटुता को अपनी विशिष्ट शैली में दूर कर देते थे। ऐसे में यदि आज भाजपा के असंख्य कार्यकर्ता और नेताओं के साथ विपक्ष के कार्यकर्ता और नेताओं की भी आंखें नम हैं तो समझा जा सकता है कि जो चला गया वो कितना वैभवशाली था।

सत्ता, संगठन ने नहीं की कद्र
भारतीय जनता पार्टी का यह अद्भुत कार्यकर्ता निराला था। क्षमताएं असीमित थी। निष्ठा अतुलनीय और समर्पण पूर्ण। फिर भी सत्ता और संगठन ने इस बहुमुंखी प्रतिभा के धनी जांबाज़ सिपाही को नज़रअंदाज किया। पार्टी के स्थानीय से लेकर ऊपर बैठे नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं ने इस समर्पित कार्यकर्ता की उन्नति की राह में रोड़े अटकाए। यदि आज वे पछता भी रहें होंगे तो अब यह बेमानी है, इस अपराध का कोई प्रायश्चित नहीं है।

निर्ल्लजता व क्रूरता की हद थी यह
रविवार शाम मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अगुआई में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में पार्टी का एक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसमें कुछ को छोड़ शहर के तमाम नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे। कार्यक्रम शुरू होने के पूर्व ही भाजपा के इस समर्पित कार्यकर्ता की असामयिक मौत की खबर आ गई थी, लेकिन इतने लोगों की भीड़ में कार्यकर्ता से लेकर नेताओं तक में कोई ऐसा नहीं था जो इस निःस्वार्थ बंदे की असामयिक मौत के लिए अपने नेताओं को टोंक सके कि उसे ‘नमन’ करने से बढ़कर कौनसा कार्यक्रम हो सकता है। दुःखद यह भी है कि उक्त कार्यक्रम में देश को दास बनाने वाले ब्रिटेन की महारानी का जिक्र तो किया गया, लेकिन कार्यक्रम के अंत में भी किसी ने उस अद्भुत कार्यकर्ता के लिए श्रद्धा के दो शब्द भी नहीं कहे। ये कैसी निष्ठुरता, क्रूरता और निर्लज्जता थी, समझ से परे है। ….. यह दृश्य देख कौन कार्यकर्ता आपके लिए समर्पण भाव रखेगा….! विचार करिएगा सत्ता हमेशा साथ नहीं रहेगी।

और क्या लिखूं उमेश भाई, सत्ता, संगठन में आपने भले ही राज न किया हो, लेकिन अपने दल के असंख्य कार्यकर्ता, विपक्षी दलों, शहर के बाशिंदों और अन्य लोगों के दिलों में आप सदैव राज करेंगे। आप और आपकी यादें अमिट हैं, कोई नहीं मिटा पाएगा। सादर नमन।
साभार :- निर्मल सिरोहिया

IDS Live

Related Posts

अमेरिका पिछले 100 सालों से सुपरपावर है।

अमेरिका ने उनको चुनौती देने वाले हर देश तोड दिया है, बरबाद कर दिया,जापान ने चुनौती दी तो खतम कर दिया, USSR ने चुनौती दी तो 17 टुकड़े कर दिए,…

मातृभूमि संरक्षक की गौरव गाथा

अफजल खान ने गले मिलते वक्त शिवाजी की पीठ में कटार घोंप दी , तब शिवाजी ने अपनी अगुलियों में छुपाये बाघनख को अफजल के पेट में घुसेङ दिया जिससे…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट