ये विरासतये फलसफेये शोहरतेंये नामावरीये सियासत एक दिनसब रह जाएगापीछे बहुत पीछेजब वक़्त से आगेनिकल जायेंगे हम यकीं नहीं आताजब तलकवह समय नहीं आताआदमी अचानकचला नहीं जाता जिंदगी अच्छी औरसच्ची लगती हैमुस्कुराती हुईहंसती खेलतीनटखट नाटक सी मशीन रुकने सीबंद होती धड़कनेंदिमाग मर जाता कभीमौत हकीकत बन फख्र सेदर्ज होती प्रमाण पत्र में रास्ते ढूंढ़ती हैपगडंडियों से आती हैखुले राजपथ परशान ...
Read More »Poet’s Corner
कहना ज़रूर
कभी जो आये मन में कोई बातउसे कहना ज़रूरन करना वक्त का इंतज़ारन होना मगरूर । जब पिता का किया कुछदिल को छू जायेतो जाकर गले उनकेलगना ज़रूर।कभी जो आये मन में कोई बातउसे कहना ज़रूर बनाये जब माँ कुछ तुम्हारे मन काकांपते हाथों कोचूम लेना ज़रूर।कभी जो आये मन में कोई बातउसे कहना ज़रूर जब अस्त व्यस्त होके बीबीभूल ...
Read More »माँ… तुम लौट आओ ना!
बटोही में बनाकर दाल जीरे का छौंक लगाओ ना बहुत भूखा हूँ चूल्हे की गरम रोटी खिलाओ ना दीवाली आ रही है माँ नए कपड़े सिलाओ ना माँ…तुम लौट आओ माँ। बच्चों को पढ़ाकर थककर तुम स्कूल से लौटो अनर्गल मैं आलापों से तुम्हें नाराज़ कर दूं तो जैसे तब दिखाती थीं वही गुस्सा दिखाओ ना माँ…तुम लौट आओ माँ। ...
Read More »कफन
कफ़न ओढ़ कर मैं चला बिना चलाये पाँव लोग कांधे बदलते रहे ले जाने को श्मशान क्या क्या नही कमाया करके श्रम दिन और रात कफ़न मिला बिना जेब का जाना पड़ा खाली हाथ जो सारी उम्र कफ़न पहनने से हिचकते रहे मरने पर बड़ी मजबूरी में कफनान्तर्गत रहे है मेरा कफ़न तेरे कफ़न से ज्यादा सफेद क्यों मेने वह ...
Read More »“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
साहब मैं थाने नहीं आउंगा,अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो,उन्हें भी समझे माता पिता, न ...
Read More »पत्रकार है…
तू जानती है न मां, तेरा बेटा पत्रकार है…मां तू नाराज न होना इस दिवाली मैं नहीं आ पाउंगातेरी मिठाई मैं नहीं खा पाउंगादिवाली है तुझे खुश दिखना होगाशुभ लाभ तुझे खुद लिखना होगातू जानती है यह पूरे देश का त्योहार हैऔर यह भी मां कि तेरा बेटा पत्रकार हैमैं जानता हुं पड़ोसी बच्चे पटाखे जलाते होंगे तोरन से अपना घर ...
Read More »मॉं
मॉं है ईश्वर की इबादत मॉं है प्रेम की ईबारत मॉं है मन में श्रद्धा का भाव मॉं है धूप में गुलमोहर की छॉंव मॉं है अपनत्व की सेज मॉं है सूरज का तेज मॉं है ममता का सागर मॉं है खुशियों की गागर मॉं है शीतल सी चॉंदनी मॉं है सुरो की रागिनी मॉं है दीपों का पर्व मॉं ...
Read More »दिल से गुस्ताखी
दिल से गुस्ताख़ी कुछ यूँ हुई, वो नाराज़ रहे मोहब्बत में शायरा कुछ यूँ बनी, वो खामोश रहे मुन्तज़िर निगाहें मेरी कुछ यूँ झुकी, वो बेबस रहे मैं दिन-ब-दिन दीवानी कुछ यूँ बनी, वो तस्सवुर करते रहे दिल को कश्मकश हुई, क्या उन्हें भी मोहब्बत हुई? चाहत मेरी ज़िंदा कुछ यूँ हुई, वो परेशान रहे ये कशमकश एक राज़ यूँ ...
Read More »कलमयुग की तस्वीर
चेहरे खिले हैं कायरों के जरुर कोई वजह खास है, षड्यंत्र के फंदे में जैसे हुनरबाज की छीन ली साँस है। बेशर्म विधा को देखकर ताली बजा रहे हैं लोग, अम्बर का सर झुक गया धरती भी उदास है। सरेराह सरेआम लुट रही इंसानियत की रूह, मानवता का रक्त पी रहे यह कैसी प्यास है। कलम की मंडी में अब ...
Read More »Light Life at 4am
Darker the souls, Deeper the thoughts. Darker the night it shows more blue sides. And when death speaks the language of mind, it becomes way too beautiful to feel the essence of dark deep pages. The story will take you in a different world, where words are hard to get but feelings connect. Where the soul is pure and death ...
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