२०२३ की सबसे शानदार कविता

एक अकेला पार्थ खडा है भारत वर्ष बचाने को।सभी विपक्षी साथ खड़े हैं केवल उसे हराने को।।भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने माया जाल बिछाया है।भ्रष्टाचारी जितने कुनबे सबने हाथ मिलाया है।।समर…

रंग… अब बिदा भये

बासन्ती बयारों के संग आये रंग, फ़ागुण में छाए और जमकर बरसे अगले बरस फिर लौटकर आने का वादा कर छोड़ गए अपनी रंगत चौक-चौबारों, गली-मोहल्लों में छोड़ गए अपने…

“याद”

‘याद’ का ना होना ‘भूलना’ नहीं हैजैसे सुख का ना होना दुख नहीं हैऔर उम्मीद का ना होना नाउम्मीदी से अलग है एक समय के बादहोने और ना होने के…

हम रीते ही मर जाएंगे…

युद्ध की आहट पर पनपता है प्रेमविदा होते हुए प्रेमीशिद्दत से चूमते हैं एक-दूसरे कोऔर जमा कर लेते हैं इतना प्यार किगुज़ारा हो सके उम्र के आख़री बसंत तक लेकिन…

स्मृतियाँ

यहाँ कुछ नहीं ठहरा हैयहाँ कुछ नहीं ठहरेगासिवाय स्मृतियों के….. कुहासे में धुंधलाईतस्वीरों का कोलाज,संवादों की प्रतिध्वनि,और पलकों की कोर से झरी हुईकुछ उपेक्षित कविताएँ ठहरी रहेंगी यहाँसांसों के आने जाने…

ड्रिंक एंड ड्राइव

माँ मैं एक पार्टी में गया था।तूने मुझे शराब नहीं पीनेको कहा था, इसीलिए बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे और मैं सोडा पीता रहा।लेकिन मुझे सचमुच अपने…

“मां से सीखा है” – मदर्स डे स्पेशल

मां को बच्चों की प्रथम गुरु कहा है।मां हमेशा अपने बच्चों को सही-गलत और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है।जीवन में जब भी कुछ समझ नहीं आता, कोई रास्ता नहीं…

तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ?

तुम अस्पताल के लिये लड़े कब ??तुम तो नक्सलियों के साथ देश के विरुद्ध ही लड़ते रहे..तुम तो पुलिस, CRPF और पैरामिलेट्री फोर्स से RDX बिछाकर , बम से उड़ाकर…

उन सभी बेटियों को समर्पित, जो दूर, अपने संसार में व्यस्त हैं, और अपने घर गृहस्थी कि कर्तव्य निभा रहीं हैं…

माँ का घर ,जो अब भी नहीं भूला !! बरसों बीत गए ,उस घर से विदा हुए ,बरसों बीत गए ,नई दुनिया बसाए हुए ,पर न जानें क्या बात है…

“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

कुछ महिलाए ऐसी भी है जो अधिकार का दुरप्रयोग कर रही है… साहब मैं थाने नहीं आउंगा,अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,सोच में अन्तर…