महावीर विक्रम बजरंगी

कहा जाता है कि मित्रता से बढ़कर और कोई रिश्ता नही होता और हनुमान से बढ़कर कोई और मित्र नही होता, सम्पूर्ण विश्व साहित्य में हनुमान के समकक्ष कोई और पात्र दिखाई नहीं पड़ता है। हनुमान एक ऐसे चरित्र हैं जो सर्वगुण सम्पन्न हैं। सिर्फ अप्रतिम शारीरिक क्षमता ही नहीं, अलौकिक मानसिक दक्षता तथा अद्भुत चारित्रिक ऊंचाइयों के भी यह उत्तुंग शिखर हैं। इनके सादृश्य मित्र, सेवक ,सखा, कृपालु एवं भक्तिपरायण व्यक्तित्व को ढूंढना संभव ही नही है।

पौराणि‍क कथाओं के अनुसार जब रावण के अनाचार और अत्याचार से धरती काँपने लगी तब उसका अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लेने का निर्णय लिया, उस समय सभी देवताओं ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए धरती पर अवतार लिया था, तब भगवान भोलेनाथ ने भगवान विष्णु से अपनी मित्रता के प्रतीक स्वरूप हनुमान के रूप मे रुद्रवतार लेने का संकल्प लिया था, शास्त्रों मे वर्णित और ज्योतिषीय गणना के अनुसार रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म लगभग 58 हजार वर्ष पहले त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग भारत देश के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था, हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थीं।

हनुमान परमेश्वर भक्ति की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। हनुमानजी को अमरत्व का वरदान है, वे केवल महाबली ही नहीं हैं, बल्कि विलक्षण और बहुआयामी मानसिक और प्रखर बौद्धिक गुणों के अद्भुत धनी भी हैं वे पराक्रम, ज्ञान और सेवा के आदर्श संगम थे। ज्ञान, भक्ति और कर्म- इन तीन क्षेत्रों में श्री हनुमान महान योगी थे। ‘राम-काज’ अर्थात ‘अच्छे कार्य’ के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे। थकावट उनसे कोसों दूर रहती थी। यदि कोई उनसे विश्राम की बात करता तो उनका उत्तर होता था- मैंने श्रम ही कहां किया, जो मैं विश्राम करूं? आजकल प्रचलित ‘कार्यभार’ शब्द ही गलत है। जब-जब गहरी रुचि और भक्ति के साथ कोई कार्य किया जाता है, तो वह भार या वजन नहीं होता, उससे आनंद का सृजन होता है। समर्पण-भाव से की गई सेवा सुख देती है और संकुचित स्वार्थवश किया गया काम तनाव पैदा करता है। विवेक, ज्ञान, बल, पराक्रम, संयम, सेवा, समर्पण, नेतृत्व संपन्नता आदि विलक्षण गुणों के धनी होने के बावजूद उनमें रत्तीभर अहंकार नहीं था। एक भक्त के यही गुण उसे भक्ति के शिखर तक लेकर जाते हैं। वे हर मुश्किल परिस्थिती में श्रीराम के साथ खड़े रहे। एवं  पूर्ण तत्परता से प्रत्येक कार्य  को पूर्ण किया। जिसके चलते वे भी प्रभु के साथ पूजनीय बन गए। श्रीराम जी के स्वरूप के साथ श्री हनुमंत जी का स्वरूप भी होता है।

हम सभी अपनी ज़िंदगी में ज्ञान पाना चाह रहे हैं, धन कमाना चाह रहे हैं, प्रसिद्ध होना चाह रहे हैं, लेकिन कभी सोचा है कि आप ऐसा क्यों होना चाह रहे हैं? जब आप ख़ुद से ही इस तरह के प्रश्न करेंगे तो आपको लगने लगेगा कि यह सब मैं इसलिए करना चाहता हूँ ताकि मैं अपने होने की सार्थकता को सिद्ध कर सकूँ, ईश्वर को बता सकूँ कि “मैं हूँ और आप इसे जानें।” एक बार प्रभु श्रीराम ने हनौमान से पूछा बताओ हनुमान कि तुम कौन हो ? यह मानव जीवन का कठिनतम प्रश्न है जिसका उत्तर समस्त मानव जाति जानना चाहती है। इस प्रश्न का उत्तर हनुमानजी ने जिस श्लोक द्वारा दिया उसमें सम्पूर्ण विश्व की सभी आराधना प्रणालियों के बीज विद्यमान हैं।

हनुमानजी कहते है : देहदृष्टया तु दसोऽ हं जीव दृष्टया त्वदंशक:। आत्मदृष्टवा त्वमेवाहमिति में निश्चिता मति:।।

अर्थात देह दृष्टि से मैं आपका सेवक हूं और जीवन दृष्टि से मैं आपका अंश हूं तथा परमार्थरूपी आत्मदृष्टि से देखा जाए तो जो आप हैं, वही मैं हूं- ऐसी मेरी निश्चित धारणा है ।

शास्त्रों में वीर रस के चार भेद बताए गए हैं-दान, दया, युद्ध एवं धर्म। कोई दानवीर होता है व कोई कर्मवीर परंतु जिसमें सारे वीर रस मौजूद हों, वह महांवीर होता है और श्री हनुमान जी इन सभी गुणों के धनी हैं अत: वो कहलाए -‘महावीर विक्रम बजरंगी।’ । ऐसे भक्त शिरोमणी श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव पर सभी को शुभकामनाये।

नोट : इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

विचार संकलन : राजकुमार जैन

IDS Live

Related Posts

मातृभूमि संरक्षक की गौरव गाथा

अफजल खान ने गले मिलते वक्त शिवाजी की पीठ में कटार घोंप दी , तब शिवाजी ने अपनी अगुलियों में छुपाये बाघनख को अफजल के पेट में घुसेङ दिया जिससे…

चुनाव के दौरान रंग भेद की राजनीति

लोकसभा चुनाव के दौरान राजनेताओं के बयान सुनकर ऐसा लगने लगता है कि ये अपनी हदों को पार कर करने लगे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता सैम…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट