अब पूरा शहर भाजपा का

9 विधायक — 9 रिकॉर्ड

सांसद
महापौर
9 विधायक
65 पार्षद जनप्रतिनिधियों में अब शहर कांग्रेस के पास 20 पार्षद

प्रदेश की तीन बड़ी जीत
रमेश मेंदोला
कृष्णा गौर
CM शिवराज सिंह चौहान

6 इंदौरी नेताओं ने दूसरे जिले से चुनाव लडा
भाजपा के दो प्रत्याशी जीते
कांग्रेस के दो प्रत्याशी हारे और एक प्रत्याशी जीता

एक निर्दलीय प्रत्याशी भी हारा
इंदौर। मोदी लहर के साथ एक बार फिर मध्य प्रदेश की कमान आगामी पांच सालों तक भाजपा के हाथों में रहेगी। इस चुनाव में कई चौंकाने वाले परिणाम आए है और इसमें कई नेताओं का राजनीति केरियर समाप्त हो गया तो कई नेताओं के भाग्य का उदय हुआ है। विधानसभा चुनाव के परिणाम से इंदौर में कई रिकार्ड बने । इंदौर के लिए सबसे दिलचस्प बात यह है की सांसद, महापौर, 9 विधायक और 65 पार्षद सभी भाजपा के है। जबकि कांग्रेस के पास अब केवल 20 पार्षद है। इस बार भाजपा , कांग्रेस और निर्दलीय मिलाकर छह इंदौरी नेताओं ने जिले से बाहर जाकर चुनाव लड़ा, इसमें से भाजपा के दो प्रत्याशियों ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस के तीन प्रत्याशियो में से दो हारे और एक जीता । इंदौर का एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी को भी हार का सामना करना पड़ा। इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के प्रत्याशी रमेश मेंदोला ने इस चुनाव में मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की। एक मजेदार बात यह रही की मेंदोला ने जीते के अंतर के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भोपाल की पूर्व मेयर कृष्णा गौर को भी पीछे छोड़ दिया। इसी प्रकार एक ही सीट पर लगातार पांच बार जीतने का रिकॉर्ड भी इंदौर के खाते में गया। यह करिश्मा महेंद्र हार्डिया ने कर दिखाया। इसके अतिरिक्त कुछ और भी रिकॉर्ड बने हैं जो इंदौर के खाते में गए। यानी पूरे मध्य प्रदेश में इंदौर की धूम रही।

इंदौरी नेताओं ने दूसरे जिले में जाकर आजमाया भाग्य
चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस की चुनाव समितियों को प्रत्याशियों के चयन को लेकर काफी मंथन करना पड़ा था। चुनाव समिति के सदस्यों सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि किसको टिकट दे किसको नहीं दें। दोनों दलों की समितियों ने अपने नेताओं को एडजस्ट करने के लिए दूसरा रास्ता निकाल कर उन्हें जिले के बाहर दूसरे जिले में टिकट देकर चुनाव लड़ाया। भाजपा के दो प्रत्याशी विजयी हुई जबकि कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों में से दो प्रत्याशियों को हार का मूंह देखना पड़ा। जबकि एक प्रत्याशी को जीत मिली। एक निर्दलीय प्रत्याशी को भी पराजित का सामना करना पड़ा।

6 इंदौरी नेता कहां से जीते और कहां से हारे
इंदौर भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ राजेश सोनकर को सोनकच्छ से टिकट दिया गया और उन्होंने वहां पर इंदौर के ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा को पराजित किया।
इंदौर के ही भाजपा नेता राजकुमार मेव ने महेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधो को पराजित किया।
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत ने बदनावर विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव से चुनाव जीतकर कांग्रेस का भरोसा जीता । वे इसी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक भी रह चुके है।
जावद विधानसभा सीट से चुनाव लड़े इंदौर के कांग्रेसी नेता समंदर सिंह पटेल को पराजय का सामना करना पड़ा। उन्हें पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने पराजित किया।
आगर विधानसभा सीट भी इंदौर के ही कांग्रेस नेता विपिन वानखेड़े को पराजय का मुंह देखना पड़ा। उन्हें भाजपा के मधु गेहलोत ने पराजित किया।
टिकट न मिलने से नाराज पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आलोट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वे भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनाव हार गए।

मेंदोला बने सबसे बड़ी जीत के शिल्पकार
लगातार चार चुनाव जीतने वाले भाजपा के कद्दावर नेता अपराजिता रमेश मेंदोला ने इस विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की है,। इस विशाल जीत के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भोपाल की पूर्व मेयर कृष्णा गौर को भी पीछे छोड़ दिया।

ऐसा रहा मेंदोला की जीत का सफर
2008 – 39937
2013 – 91017
2018 – 71011
2023 – 107047

सीएम और मेयर को भी पीछे छोड़ा
रमेश मेंदोला — 107047
कृष्णा गौर — 106335
मुख्यमंत्री — 104947

कांग्रेस के पास सिर्फ 20 पार्षद
इंदौर शहर में अब चारों तरफ भाजपा की राज रहेगा, क्योंकि इंदौर जिले की नो विधानसभा सीटों पर ही भाजपा का कब्जा हो गया है। अब शहर में एक भी कांग्रेस विधायक नहीं है। यानी पूरा शहर कांग्रेस मुक्त हो गया है। शहर में जनप्रतिनिधि नाम कर अब कांग्रेस के पास केवल 20 पार्षद रह गए हे।

शहर के जनप्रतिनिधियों की संख्या पर एक नजर —
सांसद — भाजपा का
महापौर — भाजपा का
9 विधायक — भाजपा के
65 पार्षद — भाजपा के
20 पार्षद — कांग्रेस के (1 निर्दलीय पार्षद कांग्रेस में शामिल)

लखन दादा की सीट को बरकरार रखा मालिनी भाभी ने
स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह गौड़ की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक चार की सीट पर विराजमान मालिनी गौड़ ने लखन दादा की सीट को बरकरार रखा। चार विधानसभा और एक महापौर का चुनाव शानदार तरीके से जीता।

चार चुनाव की जीत के आंकड़े ऐसे हैं
2008 — 28043
2013 — 33823
2018 — 43090
2023 — 69837
2015 में मालिनी गौड ने महापौर का चुनाव 2,86,360 वोटों से जीता था।

चुनावी रिकार्ड और किस्से
कैलाश जी इंदौर में जहां जहां से खड़े हुए वहां से चुनाव जीता
एक ही सीट पर लगातार जीत दर्ज कर महेंद्र हार्डिया ने इंदौर की राजनीति में रचा इतिहास।
चिंटू चौकसे, पिंटू जोशी गोलू शुक्ला, राजा मांधवानी, रीना बोरासी और रामकिशोर शुक्ला ने
ने पहली बार चुनाव लड़ा, गोलू शुक्ला अकेले ने पहला चुनाव जीता। जबकि कांग्रेस के ही सांवेर प्रत्याशी रीना बोरासी और महू प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला ने पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन दोनो को हार मिली।
रमेश मेंदोला ने पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की
मालिनी गौड़ ने अपना हर चुनाव 50000 से ज्यादा वोटों से जीता।
इंदौर के छह नेताओ ने जिले के बाहर जाकर चुनाव लड़े जिनमे दो भाजपा के ,तीन कांग्रेस के और एक निर्दलीय शामिल है।
इंदौर जिले में नो विधानसभा सीट होने के बाद पहली बार सभी सीट एक ही पार्टी के प्रत्याशियों ने जीती हे।
दो चुनाव में कांग्रेस के गोविंद मांधनी जीतने वोट से नहीं हारे उससे कही ज्यादा मांधवाणी एक ही चुनाव हार गए।

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