जब दिल ही टूट गया

मंत्री मंडल बनने से पहले की रात कई “माननीयों” पर भारी रही। जब तक नामों की पोटली नहीं खुली थी, उम्मीद ज़िंदा थी। तब नींद में गुनगुनाया करते थे, “शब-ए-इंतेज़ार” आख़िर, कभी होगी मुख़्तसर भी। जब उम्मीदें दफ़न हो गईं तो, अब सहगल बाबा याद आ रहे हैं। हम जी कर क्या करेंगे, जब दिल ही टूट गया, जब दिल ही टूट गया। किसने कहा था दिल लगाने को?,वो भी ऐसी माशूक़ा से जिसके दाम आसमान छू रहे हों..? लेकिन हाय री क़िसमत,”हमसे का भूल हुई, जो ये सज़ा हमका मिली, अब तो चारो ही तरफ बंद है दुनिया की गली”। जो सात्विक विचार वाले हैं उनके घर फैमिली डॉक्टर बीपी इंस्ट्रूमेंट और ट्रेंकुलाइजर इंजेक्शन ले कर पहुंच गए थे, जो वो वाले हैं, उनकी ज़ुबाँ में बस एक ही बात थी, “ला पिला दे साक़िया पैमाना पैमाने के बाद”।
जो समर्थक परसों रात तक विश्वास दिला रहे थे कि, भैया आपका नाम कटने का सवाल ही नहीं उठता, वो रात से न सिर्फ नदारद हैं, बल्कि वहां पहुंच गए जहां ढोल धमाका, हार फूल और मिठाइयों का ज़लज़ला जारी था। तो क्या करें..? पानी का पोखर सूखते ही परिंदे भी अपना आशियाना बदल ही लेते हैं। किसी नाकाम “आशिक़” से एक पत्रकार ने पूछ लिया, क्या हुआ बब्बा, आपका नाम तो सुर्खियों में था फिर अचानक…? चेहरे पर नक़ली “भौंकाल” लाते हुए बोले, पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं, पार्टी जो आदेश देगी,उस पर अमल करूंगा। सारे गिले तमाम हुए, इस जवाब से।

शपथ समारोह में इनके द्वारा जो बोला जाता है, उसको सुनने के बाद, अपने आपको नोच कर खुद अहसास दिलाना पड़ता है कि, हम कहीं सपना तो नहीं देख रहे।

“देखिए अब किसकी जान जाती है,उसने मेरी,और मैंने उसकी क़सम खाई है”। सुनने में कितना अच्छा लगता है, मैं फलाना…. खाता हूं। लोग कसम खाते समय भी सतर्क रहते हैं कि,कसम उसकी खाई जाए जिससे उसका भी अनिष्ट न हो और अपना भी काम चल जाए। इसीलिए लोग, पवित्र ग्रंथों ईश्वर या फिर “तुम्हारे सर की कसम”.. अब न ग्रंथ, बोलने वाले हैं, न ईश्वर का कुछ घाटा होने वाला है।

वैसे इनके असली किरदार को देखने और महसूस करने के बाद, शपथ कुछ ऐसी होना चाहिए। मैं फलाना… की शपथ लेता हूं कि, मैं…. को रेज़ा रेज़ा कर दूंगा। और अपने दायित्यों को लावारिस छोड़ अपने भले की जुगाड़ में लग जाऊंगा। यदि मेरे सामने कोई विषय आता है तो उसको पूरे भेद-भाव के साथ उसकी लंका लगाने का भरपूर प्रायास करूंगा। कोई ऐसा विषय जो मेरे संज्ञान में आता है तो तब के सिवा जब कि,मेरे और मेरे परिवार, और चमचों के लिए ऐसा करना ज़रूरी हो, और जिसके माध्यम से चुनावी, और दिल्ली का खर्चा,और परिवार का उज्ज्वल भविष्य बनाने में मदद मिलती हो नहीं करूंगा। अब यार कुर्सी चीज़ ही ऐसी है। कौन है जिसने मय नहीं चक्खी कौन झूठी कसम उठाता है। मयकदे से जो बच निकलता है,तेरी आँखों में डूब जाता है।

चलते-चलते :-
राज गद्दी के एक और तलबगार थे,मगर सेनापति के पद से संतुष्ट होना पड़ा। रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। बोले हमारी टीम में टेस्ट और T20 दोनों फार्मेट के खिलाड़ी शामिल किए गए हैं। वो तो ठीक है सेठ जी,पर थोड़ा ध्यान रखियो टीम में कोई “मैच फिक्सर” न शामिल हो गया हो,वरना इधर भी एक “महाराजा” पैदा हो सकता है। वैसे भी लोग बार 2 याद दिला रहे हैं कि, 2018 में भी इसी माह की इसी तारीख को शपथ समारोह हुआ था। वो आए वज़्म में बस इतना “मीर” ने देखा,फिर उसके बाद “चरागों” में रोशनी न रही।
लेख़क :- ✍🏼अमित सिंह परिहार

  • IDS Live

    Related Posts

    मातृभूमि संरक्षक की गौरव गाथा

    अफजल खान ने गले मिलते वक्त शिवाजी की पीठ में कटार घोंप दी , तब शिवाजी ने अपनी अगुलियों में छुपाये बाघनख को अफजल के पेट में घुसेङ दिया जिससे…

    चुनाव के दौरान रंग भेद की राजनीति

    लोकसभा चुनाव के दौरान राजनेताओं के बयान सुनकर ऐसा लगने लगता है कि ये अपनी हदों को पार कर करने लगे हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता सैम…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट