हम रीते ही मर जाएंगे…

युद्ध की आहट पर पनपता है प्रेम
विदा होते हुए प्रेमी
शिद्दत से चूमते हैं एक-दूसरे को
और जमा कर लेते हैं इतना प्यार कि
गुज़ारा हो सके उम्र के आख़री बसंत तक

लेकिन सरहद से हज़ारों मील दूर
यहाँ इस शांत शहर में, 
नहीं पहुंचेगी कोई मिसाइल कभी
नहीं फटेगा कोई बम
नहीं दहलेगी ज़मीं
नहीं कांपेगा आसमां
बंदूके रोक ली जाएंगी सरहदों पर
नहीं होगा कोई धमाका कभी

और हम रीते ही मर जाएंगे
युद्ध के इंतज़ार में…
लेखिका :- सारिका गुप्ता

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