निजी स्कूल संचालकों की मोनोपाॅली समाप्त

इंदौर : इंदौर जिले में कापी-किताबें, यूनीफार्म तथा विद्यार्थियों को लगने वाली अन्य सामग्रियों के संबंध में कतिपय निजी स्कूल संचालकों की मोनोपाॅली (एकाधिकार) को समाप्त करने के लिये दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये गये हैं। इस आदेश का उल्लंघन करने पर प्राचार्य, निदेशक के साथ ही स्कूलों के प्रबंधक और बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्यों को दोषी मानकर कार्रवाई की जायेगी।

इस संबंध में अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी श्री सुधीर कुमार कोचर द्वारा आवश्य जारी प्रतिबंधात्मक आदेश के अनुसार स्कूल संचालक स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिये अनिवार्य पुस्तकों की सूची अपने स्कूल की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करेंगे । स्कूल परिसर में भी यह सूची चस्पा करेंगे। जिन स्कूलों की अपनी कोई वेबसाइट नहीं है वे पुस्तकों की सूची स्कूल परिसर में चस्पा करते हुये उसकी एक सूची प्रवेशित छात्र-छात्रा के अभिभावकों को नया शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पूर्व उपलब्ध करायेंगे। स्कूल संचालक किसी भी विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूची में दर्ज पुस्तकें किसी भी दुकान या संस्थान से क्रय करने के लिये बाध्य नहीं कर सकेंगे।

अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर उन्हें 15 जून, 2015 तक क्रय कर सकेंगे। अप्रैल माह से प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में 30 अप्रैल तक का उपयोग विद्यार्थियों की नयी कक्षा हेतु ओरियेंटेशन एवं व्यवहारिक तथा मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जायेगा।

स्कूल संचालक जिस नियामक संस्था जैसे माध्यमिक शिक्षा मण्डल, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मण्डल अथवा सी.आई.एस.सी.ई.आदि से संबद्ध है उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम एवं उस पाठ्यक्रम के अंतर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी जैसे एन.सी.ई.आर.टी., मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों, मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रयुक्त किया जाना प्रतिबंधित रहेगा। यह प्रतिबंध केवल कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक के लिये लागू होगा। शेष कक्षाओं के संबंध में स्कूल संचालक यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी कक्षा विशेष में चलने वाली कुल किताबों की संख्या नियामक संस्था द्वारा उस कक्षा विशेष के लिये विषयवार निर्धारित एवं प्रकाशित कुल किताबों की संख्या से अधिक न हों। इसके अतिरिक्त अन्य व्यवहारिक विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्युटर आदि की निजी प्रकाशकों, मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने के लिये विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को बाध्य किया जाना प्रतिबंधित होगा।

जारी आदेशानुसार पुस्तकें एवं काॅपियां, सम्पूर्ण यूनीफार्म आदि संबंधित सामग्री स्कूल संस्था अथवा किसी एक दुकान विक्रेता अथवा संस्था विशेष से खरीदने हेतु किसी भी स्थिति में बाध्य नहीं किया जा सकेगा। जिन स्कूलों में विद्यार्थियों को कैम्पस के भीतर होस्टल सुविधा दी जा रही है उनमें विद्यार्थियों को स्कूल प्रबंधन के माध्यम से ही पुस्तकें एवं काॅपियां, यूनीफार्म क्रय करने के संबंध में सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी। पालक-शिक्षक संघ की बैठक अथवा अन्य अवसरों पर स्कूल संचालक यह सुनिश्चित करेंगे कि निजी प्रकाशक, मुद्रक तथा विक्रेता स्कूल परिसर के भीतर प्रचार-प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करें। सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से संबंधित नहीं है, का समावेश सेट में नहीं किया जायेगा। कोई भी दुकानदान किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। यदि कोई विद्यार्थी या पालक के पास पूर्व से किसी कक्षा की पुरानी किताबें उपलब्ध हों तो उसे जिनकी आवश्यकता है केवल उन किताबों को दुकानदार से क्रय किया जा सकेगा।

नोट्स बुक (कापी) पर ग्रेड, किस्म, साईज, मूल्य, पेज की संख्या आदि की जानकारी नोटबुक के ऊपर स्पष्ट रूप से उल्लेखित करना होगी। किसी भी पुस्तक अथवा काॅपी पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जायेगा। इन पर चढ़ाने वाले कवर पर विद्यालय के नाम को मुद्रित किये जाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। कोई भी विद्यालय दो से अधिक प्रकार की यूनीफार्म निर्धारित नहीं कर सकेगा। ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा। यूनीफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम 03 सत्र तक उसमें परिवर्तन न हो। स्कूल प्रबंधन द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य इवेन्ट के नाम पर किसी भी प्रकार के वेशभूषा को विद्यार्थियों या पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जा सकेगा। जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित, मुद्रित नहीं की गयी है, उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने से पूर्व स्कूल संचालक यह सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐवी आपत्तिजनक न हो जिससे कि लोक शांति भंग हो अथवा भंग होने की आशंका हो। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है जो 6 जून, 2015 तक प्रभावशील रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी। विद्यालय द्वारा जारी आदेशों की अवहेलना किये जाने पर शाला के प्राचार्य तथा निर्देशक के साथ ही शाला के प्रबंधक तथा बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स के समस्त सदस्य भी दोषी होंगे ।

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