Editorial / Article

मगरमच्छ के आसुंओ में डूब गई न्याय की उम्मीद

श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर बावड़ी हादसा हुवा तब हादसे में पीड़ितों को बचाने का जो भी प्रयास किया गया वो चींटी की चाल जैसा था। बचाव दल ,प्रशासन,नगर निगम के पास ऐसी कोई सुविधा नही थी कि हादसे के शिकार लोगो को तत्काल कोई राहत दी जा सके। जब सब तरफ प्रशासन,नगर निगम,ओर बचाव दल फेल हो गए तब …

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रंग… अब बिदा भये

बासन्ती बयारों के संग आये रंग, फ़ागुण में छाए और जमकर बरसे अगले बरस फिर लौटकर आने का वादा कर छोड़ गए अपनी रंगत चौक-चौबारों, गली-मोहल्लों में छोड़ गए अपने निशान, देह पर छोड़ी छाप घर-आँगन, मन आँगन में अक्स छोड़ गए रंग रंग… अब बिदा भये। अगले बरस फिर से लौटकर आने का वादा कर अलविदा हुए रंग। जो …

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माफ करना बाबा महांकाल..

हमें माफ कर देना बाबा महांकाल, हम आपकी चौखट तक तो आ सकते हैं, लेकिन आपके गरीब भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश संभव नहीं होगा। उज्जैन नगरी के राजा आप भले ही है लेकिन अब यहां रामराज्य वाली सरकार है। आपके कैलाश पर्वत पर तो सभी भक्त-देव, भूत-प्रेत, सुर-असुर, नर-पशु सभी बगैर किसी शुल्क के दर्शन के लिए पहुंच …

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आज़ादी अब एक क्लिक पर…

IDS Live

अपनी हुकूमत के दौर में अंग्रेज़ हमारे देश में बहुत मज़े में रहे होंगे। हालाँकि हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें कभी चैन से रहने नहीं दिया, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि हम अंग्रेजों को ठीक तरह से प्रताड़ित नहीं कर पाए, और हमने बिना आंसुओं के उन्हें सुक्खा-सुक्खा ही विदा कर दिया। दरअसल, उस समय प्रताड़ित करने …

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आत्महत्या, आत्मदाह या हत्या…? ये कैसा तिलस्म….जो कभी टूटता ही नहीं…..?

एक बार फिर मैं हाज़िर हूँ आप सुधि जल्वेदारों का “जलवा तड़तड़ी” लेकर…. आज हम बात करेंगे फिर उसी तिलस्म की जो टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है…. ये वही तिलस्म है जो अपने कारनामें अमूमन रोज ही हमें दिखा रहा है…. लेकिन जिम्मेदारों को नहीं दिख रहा है… या यूं कहें कि वो इसे देख कर भी …

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जाने इंदौर का इतिहास आज स्थापना दिवस पर

इंदौर की स्थापना की भूली हुई कहानी

आज इंदौर का जन्मदिन है इंदौर की स्थापना की भूली हुई कहानीयह तब की बात है, जब इंदौर में होल्कर नहीं आए थे। आज से लगभग 300 साल पहले ‘स्पेशल इकॉनोमिक ज़ोन’ के एक दूरदर्शी विचार के तहत इंदौर की स्थापना का बीज पड़ा और यह क्रांतिकारी कल्पना थी तब के इंदौर के ज़मींदार रावराजा नन्दलाल मंडलोई की। उन्होंने कर-मुक्त …

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ये है आज के दौर की दीवाली

दीपावली में संदेशे तो बहुत आये लेकिन मेहमान कोई नही आया…. सोचता हूँ ड्राइंग रूम से सोफा हटा दूं… या ड्राइंग रूम का कांसेप्ट बदलकर वहां स्टडी रूम बना दूं… दो दिन से व्हाट्स एप और एफबी के मेसेंजर पर मेसेज खोलते, स्क्रॉल करते और फिर जवाब के लिए टाइप करते करते दाहिने हाथ के अंगूठे में दर्द होने लगा …

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शाही परम्परा के साथ सिंधिया परिवार मनाता है दशहरा उत्सव

स्वतंत्रता बाद तरीका बदला लेकिन आयोजन जारी रहा। देश के स्वतंत्र हो जाने के बाद राज परिवार का शाही तामझाम खत्म हो गया और महल की तरफ से होने वाला आयोजन हिन्दू दशहरा समिति के नाम से आयोजित होने लगा। इसमें शमी पूजन के बाद सिंधिया परिवार के पुरुष मुखिया इस अपने परम्परागत शाही लिबास में भव्य चल समारोह के …

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तुम्हे न भूल पाएंगे गजोधर भैया – मधुर स्मृति शेष

मधुर स्मृति शेष

इस जीवन की आपा – धापी, गला – काट प्रतिस्पर्धा में दो जून की रोटी कमाने में ही लोग बेहद मुश्किलों और परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं… जिम्मेदारियों और बेतहाशा महंगाई ने जीवन को दूभर और जटिल कर रखा है… वर्तमान दौर में आमजनों की स्तिथि बेहद नाजुक बनी हुई है… ऐसे माहौल में और ऐसे  दौर में एक मामूली शक्ल …

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हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है

आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है। जैसे देखे :- क ख ग घ ड़ – पांच के इस …

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