प्रतिभायें प्राय: महलों से नहीं झोपड़ियों से निकलती हैं – श्री आर्य

इंदौर (आई.डी.एस.) नर्मदा घाटी विकास (स्वतंत्र प्रभार), सामान्य प्रशासन एवं विमानन राज्य मंत्री श्री लालसिंह आर्य ने कहा कि प्रतिभायें प्राय: महलों से नहीं झोपड़ियों से निकलती हैं। कोई भी सफलता दूरदृष्टि, पक्का इरादा और कठोर परिश्रम से प्राप्त होती है। दीपक भी स्वयं को जलाकर धरती को प्रकाशमय बनाता है। श्री आर्य आज राज्य स्तरीय ज्ञानोदय विद्यालय पुरस्कार समारोह को इंदौर में मोरोद ग्राम स्थित ज्ञानोदय विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये यह बात कही।

श्री आर्य ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि बोर्ड की परीक्षाओं, खेलकूद और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में स्वस्थ्य और रचनात्मक प्रतियोगिता होती है। सफलता, प्रयास और परिश्रम का परिणाम है। एकलव्य ने भी प्रयास और परिश्रम से श्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में ख्याति अर्जित की थी। उसने मिट्टी को गुरू को प्रतीक मानकर धनुर्विद्या सीखी। ज्ञानोदय विद्यालय प्रदेश में अध्ययन-अध्यापन का कार्य अच्छे ढंग से चल रहा है। विद्यार्थियों की प्रतिभा देखकर ऐसा लग रहा है कि इसमें से कई आईएएस, आईपीएस और राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनेंगे। राजस्थान के आदिवासी लिम्बाराम और दोरोजी ने तीरंदाजी के क्षेत्र में राष्ट्र्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया था। हमारे विद्यार्थी यदि उन्हें सुविधायें मिले तो वे ओलम्पिक, एशियाड और राष्ट्रमण्डल खेलों में और अधिक पदक जीत सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को यदि मूलभूत सुविधायें मिले तो वे शिक्षा और खेलकूद के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। ज्ञानोदय विद्यालय में उन्हें हर तरह की मूलभूत सुविधायें मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्षों से कबड्डी ग्रामीण स्तर का खूलकूद माना जाता था, मगर उसे प्रयोजक मिल जाने के बाद “”प्रो कबड्डी प्रतियोगिता” के कारण उसे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिल चुकी है। इतिहास में उसी का नाम दर्ज होता है जो सफल होता है। राज्य सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के बच्चों के लिये हर संभव सहायता मुहैया करा रही है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को विदेश में भी अध्ययन के लिये राज्य शासन द्वारा खर्च उठाया जाता है।

इस अवसर पर संभागायुक्त श्री संजय दुबे कहा कि परिश्रम और पुरुषार्थ से सफलता हासिल होती है। विद्यार्थीगण परिश्रम करके पढ़ाई, खेलकूद, व्यवसाय, खेती या अन्य किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। प्रदेश में राज्य शासन अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को अध्ययन के लिये सभी मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करा रहा है। विद्यार्थी जागरूकता, परिश्रम और एकता के माध्यम से प्रगति कर सकते हैं और परिवार, प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकते हैं।

इस अवसर पर आयुक्त अनुसूचित जाति विकास भोपाल श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने कहा कि राज्य शासन अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिये कृतसंकल्पित है। राज्य शासन ने सिर्फ अनुसूचित जाति वर्ग के लिये लगभग 60 योजनायें शुरू की है, उनका लाभ उठाकर अनुसूचित जाति के लिये अपना जीवन स्तर सुधार सकते हैं और राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़े सकते हैं। राज्य शासन ने इसी बात को ध्यान में रखते हुये प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों पर ज्ञानोदय आवासी विद्यालय खोला है। इंदौर का आवासीय ज्ञानोदय विद्यालय सर्वश्रेष्ठ है। राज्य शासन ने अनुसूचित जाति विभाग के बजट में पिछले 5 वर्षों में कई गुना वृद्धि की है। राज्य शासन ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिये प्रदेश में सैकड़ों स्कूल, कॉलेज और छात्रावास खोलें हैं। अकेले भोपाल में लगभग 40 छात्रावास अनुसूचित जाति वर्ग के लिये संचालित हैं।

कार्यक्रम में उपायुक्त आदिवासी विकास श्री बी.जी.मेहता ने बताया कि प्रदेश में सभी 10 संभागीय मुख्यालयों पर राज्य शासन द्वारा ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय संचालित हैं,जिनमें 75 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 15 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 10 प्रतिशत सामान्य बीपीएल वर्ग के विद्यार्थियों के लिये सीटें आरक्षित हैं। समस्त ज्ञानोदय विद्यालयों में शिक्षा सत्र 2018-19 के लिये राज्य शासन द्वारा 280 से बढ़ाकर 640 सीटें कर दी हैं। इन विद्यालयों में शिक्षकों के पद भी बढ़ाये गये हैं। ज्ञानोदय विद्यालयों का मुख्य उद्देश्य गरीब विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करना है। इन विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास,भोजन, गणवेश, शिक्षा, पुस्तकें, स्टेशनरी और दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुयें प्रदान की जाती हैं। इन विद्यालयों में 50 प्रतिशत छात्राओं के लिये आरक्षण हैं। इन विद्यालयों में कक्षा 6ठीं से 12वीं तक की पढाई होती है। इन विद्यालयों में भौतिक रसायन, जीव विज्ञान, कम्प्युटर एवं वर्चुअल कक्षा उपलब्ध हैं। इन विद्यालयों में वाचनालय, स्काउट गाइड, एनसीसी, विज्ञान क्लब, सांस्कृतिक, साहित्यक, योग, विशेष कोचिंग और काउंसिंलिंग कार्यक्रम चलाये जाते हैं। भोपाल,इंदौर और सागर ज्ञानोदय विद्यालय को आईएसओ अवार्ड प्राप्त है।

राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में सीनियर वर्ग क्विीज प्रतियोगिता के लिये इंदौर को प्रथम, जूनियर वर्ग में उज्जैन को प्रथम, 100 मीटर बालक दौड में शहडोल को प्रथम, 100 मीटर बालिका दौड़ में मुरैना को प्रथम, 200 मीटर बालक दौड़ में उज्जैन को प्रथम, 200 मीटर बालिका दौड़ में मुरैना को प्रथम, खो-खो बालक जूनियर वर्ग में भोपाल को प्रथम, खो-खो बालिका जूनीयर वर्ग में उज्जैन को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार कबड्डी प्रतियोगिता बालक वर्ग में इंदौर और बालिका वर्ग में उज्जैन का प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। बॉलीबॉल प्रतियोतिगता में बालक वर्ग में रीवा को प्रथम और बालिका वर्ग में इंदौर को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इसी प्रकार बास्केटबॉल प्रतियोगिता में बालक वर्ग में सागर को प्रथम और बालिका वर्ग में होशंगाबाद को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। शैक्षणिक उपलब्धियों में उज्जैन संभाग प्रथम, सागर संभाग द्वितीय और इंदौर संभाग तृतीय स्थान पर रहा। दो दिवसीय ज्ञानोदय दिवस समारोह में तवा फेंक, भाला फेंक, गोला फेंक, एकल नृत्य, समूह नृत्य, एकल गीत, समूह गीत और नाटक प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये इंदौर संभाग को चलित शील्ड प्रदान की गयी। जिसे प्राचार्य ज्ञानोदय विद्यालय इंदौर श्री बी.के.शुक्ल ने प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र श्रीमती अलका भार्गव ने किया। कार्यक्रम में श्री सूरज कैरो और श्री प्रताप करोसिया और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती मोहनी श्रीवास्तव तथा बड़ी संख्या में प्रदेश के सभी 10 ज्ञानोदय विद्यालयों के विद्यार्थी भी मौजूद थे।

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