आज फिर सहर एक शाम लाई है

ये कैसी सहर हुई है आज, कि हर ओर सांझ नज़र आती है,
तन्हा गलियों में पसरी सी पगलाई ये सियाही नज़र आती है.

कल रात सोचा था रोशनी का इंतज़ार करेंगे,
छिटक कर दूर हर बुरे ख्वाब को,
मेहबूबो यार का फिर एहतराम करेंगे.

मगर ये क्या हुआ कि,
आज फिर सूरज रूठ गया,
अपनी रोशनी को समेट,
आज मेरे साये को भी जुदा कर गया.

मुझे तो चलना है आज भी,
सियाह गलियों में,
खस्ता हाल फुटपाथों के पत्थरों को उछालते हुए,
सुना है,
इस गली के मोड़ से जो रास्ता जाता है,
वो रोशनी के चौराहों पर जा मिलता है.

Author: Anand Jain

  • Related Posts

    इंसान सिमट गए पैसों में

    खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे…!! “और बीच में लिखी…

    भारत माता की बेटी को न्याय क्यों नहीं मिला

    पुकारती है निर्भया लोकतंत्र के अपने उन अधिकारों कोकहना चाहती दर्द वो अपना सत्ता के भेड़िए नेताओ कोनोच नोच कर खाने वाले बलात्कारी नरभक्षी हेवानो कोचुप क्यों हो जाता प्रशासन…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    सेक्स के अलावा भी कंडोम का उपयोग है?

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    शीघ्रपतन से छुटकारा, अपनाएं ये घरेलु उपाय

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    सेक्स के लिए बाहर क्यूं मुंह मारते है पुरुष ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी कैसे बचें अनचाही प्रेग्नेंसी से ?

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    कुछ ही मिनटों में योनि कैसे टाइट करें !

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट

    दिनभर ब्रा पहने रहने के ये साइड-इफेक्ट