भोपाल | मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले को लेकर पहली बार किसी बड़ी हस्ती पर गाज गिरी है | खबर के अनुसार यहां के राज्यपाल राम नरेश यादव ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया है | हालांकि न तो राजधानी और न ही दिल्ली में इसकी अधिकारिक पुष्टि फिलहाल हो सकी है।
सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव ने राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। व्यापमं स्कैम के सिलसिले में उन पर एफआईआर दर्ज होने के बाद केंद्र न उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा था।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबकि, गृह मंत्रालय ने इस बारे में गवर्नर को अपना फैसला भेज दिया था। एफआईआर के मुताबिक, राम नरेश यादव अपने पद पर बने रहने योग्य नहीं थे। मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले मामले में राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। राज्यपाल यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जानकार सूत्रों के मुताबिक व्यापमं मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय लगातार मप्र सरकार के संपर्क में रहा है।हाल के दिनों में किसी राज्यपाल पर सीधे इस तरह का मामला दर्ज किए जाने को केंद्र सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। यह केंद्र सरकार के ‘एजेंडे” से भी कतई मेल नहीं खा रहा है।
राज्यपाल पर धाराओं के मायने
420 में सात साल की सजा व जुर्माना
467 आजीवन कारावास या दस साल व जुर्मानाधारा
468 सात साल की सजाधारा
471 सात साल की सजाधारा
120 / बी के तहत दो साल उससे अधिक की सजा
कांग्रेस शासनकाल में नियुक्त राज्यपालों व उनके साथ चस्पा हुए मामलों को लेकर हाल के दिनों में मोदी सरकार किस कडाई से पेश आई है, इसके उदाहरण शीला दीक्षित, कमला बेनीवाल, अजीज कुरैशी आदि के रूप में सामने हैं। एक राज्यपाल को जांच एजेंसी द्वारा पूछताछ के चलते पद छोड़ना पड़ा था।
माना जा रहा है कि उप्र से जुड़े यादव को पुराने संपर्कों के बूते व राज्य सरकार से पटरी बैठ जाने की वजह से अभयदान मिल रहा था, लेकिन हाल में जो स्थितियां बन रहीं थीं, उस पर केंद्र की लगातार नजर थी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार रात ही यहां शिवराज से मालूमात कर ली थी।