शिवपुरी (IDS-PRO) म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के न्यायमूर्ति श्री यू.सी.माहेश्वरी ने कहा कि न्यायिक प्रणाली में एडीआर पद्धति द्वारा विवादों के वैकल्पिक समाधान से प्रकरणों के निराकरण में तीव्रता आई है तथा इससे पक्षकारों को पूर्ण संतुष्टि के साथ शीघ्र एवं त्वरित न्याय प्राप्त होता है और न्यायालय के लंबित प्रकरणों में भी कमी आती है।
न्यायमूर्ति श्री यू.सी.माहेश्वरी ने उक्त आशय के विचार जिला मुख्यालय पर एडीआर भवन के लोकापर्ण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। कार्यक्रम में म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के न्यायमूर्ति श्री एस.के.पालों, जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अंजुली पालो, म.प्र. उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ के प्रिंसीपल रजिस्ट्रार श्री अरविंद मोहन सक्सेना, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति ग्वालियर के अवर सचिव श्री वी.एस.रघुवंशी, जिला कलेक्टर श्री राजीव दुबे, पुलिस अधीक्षक श्री एम.एल.छारी, जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री धमेन्द्र शर्मा सहित न्यायाधीशगण अधिकारीगण एवं अधिवक्तागण उपस्थित थे।
न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने कार्यक्रम में एडीआर भवन की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मीडिएशन प्रक्रिया में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका होती है। इसलिए अधिवक्ताओं को सामाजिक हित एवं न्यायिक प्रक्रिया में योगदान देते हुए मीडिएशन द्वारा प्रकरणों को अधिक से अधिक संख्या में निराकृत कराने में सहयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति श्री एस.के.पालों ने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 89 में वैकल्पिक विवाद समाधान के प्रकारों का वर्णन किया गया है। जिसमें मीडिएशन तथा लोक अदालत के माध्यम से आपसी राजीनामे के आधार पर प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश कूटुम्ब न्यायालय श्री एस.के.वर्मा ने एडीआर सिस्टम पर अपने विचार रखे। इस मौके पर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष श्री धर्मेन्द्र शर्मा, अधिवक्ता श्री संजीव विलगैया द्वारा भी मीडिएशन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्र के अंत में सभी के प्रति आभार जिला रजिस्ट्रार सिविल कोर्ट श्री रविन्द्र शर्मा द्वारा व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री प्रदीप सिंह ठाकुर ने किया।